Noida Crime News: नोएडा सेक्टर-63 कोतवाली थाने की पुलिस ने ठगी के बड़े मामले का खुलासा करते हुए पांच महिलाओं समेत 21 आरोपियों को गिरफ्तार करने में कमायाबी हासिल की है. ये सभी नामी ई-कामर्स कंपनियों के माध्यम से सामान बेचने का झांसा देकर एक फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे. इस सेंटर के जरिए विक्रेताओं को नामी ई-कॉमर्स कम्पनी की वेबसाईट पर सामानों को बेचने के लिए सर्टिफिकेट देने का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया जाता था. इस मामले में पुलिस ने तीन मास्टरमाईंड समेत कुल 21 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. 


नोएडा पुलिस ने छापेमारी के दौरान मौके से आरोपियों के कब्जे से 12 डेस्कटॉप, 12 लैपटाप, 28 मोबाइल फोन व अन्य सामान बरामद किया है.


आरोपी पिछले ढाई वर्ष से किराए की एक बिल्डिंग में कॉल सेंटर के जरिए ठगी कर रहे थे. अब तक वे एक हजार लोगों से एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुके हैं. इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मुजफ्फरनगर निवासी जोगेंद्र कुमार, औरैया के गोपाल सक्सेना, मथुरा के रेयाश शर्मा, सहारनपुर के अखिल गर्ग, गाजियाबाद के आकाश शर्मा, निशांत, आकाश यादव, मुकुल त्यागी, पूर्ति, लोकेश चौधरी, संभल के प्रदीप कुमार, बिहार के कैमूर ​जिले के पंकज उपाध्याय, दिल्ली के सरस भारद्वाज, गुंजन कात्याल, स्वीटी व लखनऊ की मोनिका वर्मा के रूप में हुई है.


पुलिस की जांच में बड़ा खुलासा 


सेंट्रल नोएडा के डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पिछले कुछ समय से साइबर हेल्प डेस्क पर सेक्टर 63 डी-247/01 स्थित इन्फोबीम सॉल्यूशन्स नाम की एक कंपनी द्वारा नामी ई-कामर्स कंपनियां जैसे नायका, ईबे, मिंत्रा, ईटसे आदि के नाम से जाली सर्टिफिकेट बनाकर विक्रेताओं के साथ धोखाधड़ी करने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी. ठगी का शिकार हुए पीड़ितों में श्रुति चौधरी, रश्मि गर्ग, अनुज तिवारी, यशा तैमूरी ने इस मामले की शिकायत सेक्टर-63 कोतवाली में दी थी.


पुलिस ने इन शिकायतों के आधार पर सर्टिफिकेट की प्रमाणिकता जानने के लिए संबंधित ई-कामर्स कंपनियों को ईमेल भेजकर जानकारी मांगी. जिसमें पुलिस को पता चला कि उक्त कंपनियों ने न तो कोई सर्टिफिकेट जारी किया और न ही आरोपी कंपनी उन नामी ई-कॉमर्स कंपनियों का अधिकृत पार्टनर है. पुलिस ने जब इस फर्जी कॉल सेंटर पर छापेमारी की तो वहां उन्हें उन ई-कामर्स कंपनियों के फर्जी सर्टिफिकेट फ्रेम में दीवारों पर लगे मिले. जिन्हें दिखाकर वे लोगों को झांसे में लेते थे.


कस्टमर से कर रहे थे 15 से 20 हजार की उगाही 


डीसीपी ने बताया कि आरोपी विक्रेताओं को जाली सर्टिफिकेट की प्रति वाट्सएप एवं अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर भेजकर झांसे में लेते थे. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने के नाम पर फीस के रूप में 15 से 20 हजार रुपये लेते थे. वे न तो उन लोगों का सामान नामी ई-कॉमर्स साइट पर प्रसारित करते थे और न ही उनके पैसे वापस करते थे. जबकि जांच में पता चला कि उक्त ई-कॉमर्स कम्पनियों के प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने के लिए कोई फीस नहीं ली जाती थी.


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