Noida: दिल्ली एनसीआर में बीते कई दिनों से बारिश तो हो रही है, लेकिन बारिश के बाद भी प्रदूषण कम नहीं हुआ है. हालांकि मौजूदा वक्त की बात की जाए तो हवा में धूल और धुआं जरूर कम हुआ है. इसके बाद भी दिल्ली से सटे नोएडा ग्रेटर नोएडा में ऐसा है कि जो लोग सिगरेट नहीं भी पीते हैं उनके फेफड़ों में भी रोजाना एक सिगरेट के बराबर धुआं भरता जा रहा है. दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए मेडिकल विशेषज्ञ बताते है कि बढ़ते प्रदूषण की वजह से जो लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं, उनको भी सांस लेने में परेशानी होने लगी है और कई लोगों के गले में खराश की शिकायतें भी आ रही है.
वहीं जो लोग अस्थमा या दिल के मरीज है उनके लिए ये काफी नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति है. इतना ही गौतम बुद्ध नगर में लगने वाले आरोग्य स्वास्थ्य मेले भी ज्यादातर मरीज जो सामने आ रहे है उन्हे सांस लेने में तकलीफ और गले में खराश की शिकायत होती है. एक वजह इसकी कोविड को भी बताया जा रहा है लेकिन बढ़ता प्रदूषण भी इसमें अहम भूमिका निभा रहा है.
बारिश के बाद निचले स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
हालांकि प्रदूषण को लेकर यूपीपीसीबी यानी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी भुवन यादव बताते है कि बारिश के बाद फिलहाल बीते चार दिनों से प्रदूषण का निचले स्तर पर पहुंच गया है. 23 जुलाई को नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 58 था और ग्रेटर नोएडा का 59 था वहीं इससे पहले वाले हफ्ते में यह 73 से 147 के बीच में दर्ज किया गया था.
प्रदूषण से होती है सांस लेने में दिक्कत
वहीं अगर हम श्वास रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश और एक्यूआई कम स्तर पर पहुंचने के बाद भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहने वाले लोग रोजाना लगभग 6.17 से 12.65 मिलीग्राम निकोटीन जितना धुआं ले रहे है और यह एक सिगरेट पीने जैसा ही है.
शारदा मेडिकल कॉलेज में सांसों के रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह में बताया कि जब प्रदूषण मॉडरेट लेवल पर होता है तब एक सामान्य आदमी एक सिगरेट के जितना धुआं अपने अपने फेफड़ों में लेता है जो काफी नुकसान पहुंचाता है. इससे लंबे वक्त के लिए भी फेफड़ों की उम्र पर 5 साल का असर पड़ता है जैसे अगर कोई व्यक्ति बिना प्रदूषण वाले वातावरण में रहता है तो वह अगर सामान्य तौर पर 70 साल तक जीता है तो वहीं मॉडरेट प्रदूषण में रहने वाली की उम्र में 5 साल का असर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि प्रदूषण का सीधा असर श्वास नली पर पड़ता है जिससे इस में सूजन आ सकती है. ऐसे में सांस लेने में दिक्कत होती है.