Supertech Twin Towers Demolition: 28 अगस्त को नोएडा (Noida) सेक्टर 93A में बने सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) को गिराया जाएगा. इसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. ट्विन टावर ध्वस्तीकरण से जुड़े सभी विभाग 28 अगस्त को होने वाले ब्लास्ट की तैयारियों में जुटे हुए हैं. ट्विन टावर गिराने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के मुताबिक 28 अगस्त को दोपहर 2:30 बजे महज कुछ सेकंड में ट्विन टावर गिरा दिया जाएगा और इसका असर आसपास की बनी सोसाइटी ऊपर भी नहीं होगा. हालांकि इस बीच टावर गिरने से उठने वाले धूल के गुबार को लेकर लोगों के मन में चिंता है. आखिर इतना बड़ा धूल का गुबार कहां जाएगा उसका असर किन-किन सेक्टरों में होगा. वहीं ट्विन टावर दिल्ली से भी सटा हुआ है ऐसे में क्या धूल का गुबार दिल्ली तक भी पहुंच सकता है. 


बुलंदशहर और आसपास के शहरों तक पहुंच सकता है धूल


स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसीडेंट और मौसम विशेषज्ञ महेश पलावत ने कहा कि 28 अगस्त को होने वाले ब्लास्ट को लेकर दिल्ली वालों को बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने  बताया कि इस दिन यानी 28 अगस्त को उत्तरी पश्चिमी हवा चलने वाली है यह हवा पश्चिम की ओर से आएगी. पश्चिम की ओर से हवा आने की वजह से धूल का गुबार दिल्ली की तरफ नहीं जाएगा. वो नोएडा से आगे बुलंदशहर और आसपास के शहरों तक पहुंच सकता है. वहीं 28 अगस्त को बारिश होने की भी कोई आशंका नहीं है. हालांकि पूरे दिन आंशिक तौर पर बादल छाए रह सकते हैं. कभी-कभी धूप और कभी-कभी बादल देखने को मिल सकते हैं लेकिन बारिश होने की कोई संभावना नहीं है.


29अगस्त हो सकती है बारिश


ट्विन टावर गिराने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के मुताबिक 28 अगस्त को कुछ ही सेकंड में टावर गिरा दिया जाएगा और कुछ ही मिनटों में चारों तरफ धूल ही धूल फैल चुका होगा. पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट्स की मानें तो ट्विन टावर गिरने के जो धूल का गुबार होगा वो कम से कम 3 किलोमीटर के दायरे फैला होगा. इसके बाद वह गुबार कैसे और कहां बढ़ेगी इसको लेकर महेश पलावत ने बताया कि यह गुबार नोएडा से आगे कि ओर बढ़ सकता है. 28 अगस्त को जहां मौसम में नमी कि संभावना कम है वहीं 29 अगस्त को साउथ ईस्ट से हवा चलेगी और इस दिन बारिश भी हो सकती है. ऐसे में प्रदूषण के कण जमीन पर आ सकते हैं लेकिन 28 अगस्त को धूल के कण को नीचे आने में समय लगेगा. 


मलबे को उठने में 90 दिन का समय लगेगा


टावर गिराने वाली कंपनी एडिफिस एजेंसी कि मानें तो उन्होंने धूल को कम करने के लिए टावर को फाइबर के पर्दों से ढका है. साथ में जियो टेक्सटाइल फाइबर भी लगाया गया है जिससे धूल का असर लोगों पर ज्यादा ना पड़े. जहां एक ओर एजेंसी के मुताबिक लोगों पर ध्वस्तीकरण का असर नहीं होगा लेकिन इस बीच लोगों के मन में अभी भी कई सवाल है. सवालों का जिक्र करते हुए इमराल्ड कोर्ट के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष उदय भान सिंह तेवतिया ने बताया कि असली चुनौती ब्लास्ट वाले दिन नहीं बल्कि इसके बाद शुरू होती है. क्योंकि मलबे को उठने में 90 दिन का समय लगेगा.


उन्होंने बताया कि जब यह मलबा उठाया जाएगा उसके बाद भी धूल का असर आसपास रहने वाले लोगों पर होगा. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि जब से टावर मे ध्वस्तीकरण के लिए काम शुरू हुआ है तब से वहां रहने वाले लोगों को प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है.


यूपी प्रदूषण नियंत्रमण बोर्ड ने जाहिर की चिंता


28 अगस्त को होने वाले ब्लास्ट के दिन इस पूरी प्रक्रिया को नियंत्रिण परिस्थितियों में किया जाएगा. इसके बाद भी सबके मन में पर्यावरण को लेकर चिंता बनी हुई है. इन सबके बीच अब यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी ध्वस्तीकरण को लेकर छीन जाहिर की है. बोर्ड का मानना है कि बिल्डिंग को गिराने के बाद जो धूल का गुबार उठेगा और आसमान कि ओर जाएगा वो हवा कि गुणवत्ता को खराब कर सकता है. इसकी वजह से कई दिनों तक पीएम10  बढ़ा रहेगा साथ ही पीएम 2.5 पर भी इसका असर होगा. 


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