(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Twin Tower Demolition: ट्विन टावर गिरने के बाद लौटने लगे लोग, किसी के घर के शीशे टूटे तो किसी के घर में धूल ने जमाया डेरा
नोएडा में रविवार को ट्विन टावर गिराया गया. टावर गिरने के बाद लोग अपने घरों में लौटने लगे हैं. लोगों को पहले ही दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया था. बिल्डिंग गिरने से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है.
Noida Twin Tower Demolition: नोएडा में ट्विन टावर (Twin Tower) गिराए जाने के बाद अब लोग अपने घरों में लौटने लगे हैं. ब्लास्ट से पहले एहतियातन इन्हें खाली करवा लिया गया था. लोगों के घरों में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. कुछ घरों में धूल जरूर जमी है जबकि कुछ मकानों के शीशे टूटने की खबर है. साइंस का कमाल ही कहें कि जब ये बिल्डिंग गिरी तो सीधे नीचे आई, जैसा दावा किया गया था. हालांकि बिल्कुल पास की सोसायटी, जिन्हें पहले ही खाली करवा लिया गया था और उन्हें कपड़े से ढक दिया गया था. ट्विन टावर के पास की ऐसी ही एक सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट नाम की बिल्डिंग है, जिसमें भी लोग लौटने लगे हैं. ट्विन टावर को गिराने से पहले काफी सावधानियां बरती गई थीं और नतीजा भी उसी मुताबिक आया.
AQI में नहीं आया कुछ खास बदलाव
सुपरटेक ट्विन टावर को रविवार दोपहर धराशायी किए जाने के बाद 80,000 टन मलबे और धूल के विशाल गुबार के कारण सेक्टर-93 ए से सटे इलाकों में एयर क्वालिटी में खास बदलाव दर्ज नहीं किया गया. नोएडा प्राधिकरण के अनुसार, विस्फोट के पहले और बाद में 20 निगरानी केंद्रों के माध्यम से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 के स्तर की बारीकी से निगरानी की गई.
प्राधिकरण ने किया ट्वीट
प्राधिकरण ने एक ट्वीट में कहा, ''आंकड़ों से स्पष्ट है कि टावर के धराशायी होने के बाद भी, एक्यूआई और पीएम 10 का स्तर अनुमानित सीमा के भीतर रहा है.'' विस्फोट से पूर्व दोपहर दो बजे सेक्टर-91, 125, 62, एक और 116 में एक्यूआई क्रमश: 57, 122, 108, 119 और 121 दर्ज किया गया. टावर के ध्वस्त हो जाने के बाद दोपहर तीन बजे सेक्टर-91, 125, 62, एक और 116 में एक्यूआई क्रमश: 57, 122, 109, 120 और 123 पर रहा.
ट्विन टावर गिराने वाली कंपनी के सीईओ बोले- 12 सेकेंड तक लाने में लगे 8 महीने
ट्विन टावर को गिराने वाली कंपनी एडिफिस के सीईओ उत्कर्ष मेहता ने कहा कि 12 सेकेंड तक लाने में लगे 8 महीने. उत्कर्ष मेहता ने कहा, ''12 सेकंड में लाने के लिए हमने 8 महीने काम किया, जिसमें 2 महीना डिजाइन में और 6 महीना ऑन साइट तैयारी में गया है. ये बिल्कुल आसान काम नहीं था. लेकिन ये पूरी तरह प्रॉपर इंजीनियरिंग जाब था. ये परफेक्ट इंजिनियर जाब, ये बड़ी सफलता है. दुनिया में इसका विश्लेषण होगा.''
उन्होंने कहा कि इससे पहले दुनिया में 100 मीटर से बड़े जो भी स्ट्रक्चर गिरे हैं वो काफी जगह लेकर गिरे हैं, जबकि अगर इसे देखेंगे तो गैस पाइपलाइन से लेकर कई दिक्कतों के बावजूद ये स्ट्रक्चर अपने पैरामीटर में गिरा है. एमरल्ड साइट को छुआ भी नहीं. जो कंटेनर लगा उसपर भी ज्यादा मलबा नहीं गया सिर्फ एटीएस में 8-10 मीटर में एक पोर्शन पर इम्पैक्ट हुआ है. इसके लिए हम लोग खुश हैं.