Odd-Even in Delhi: ऑड-ईवन के विरोध में Delhi NCR के 64% लोग, प्रदूषण में कमी की न करें उम्मीद
Odd-Even Survey Report: ऑड-ईवन स्कीम को लेकर कराए गए सर्वे में 56 प्रतिभागियों ने योजना के तहत नियमों में छूट का भी विरोध किया. दिल्ली में पहली बार 2016 में ऑड-ईवन स्कीम पर अमल हुआ था.
Delhi News: दिवाली के अगले दिन से एक सप्ताह तक राजधानी में ऑड-ईवन (Odd-Even Scheme) लागू करने के दिल्ली सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. शीर्ष अदालत के इस रुख के बाद 7 नवंबर को पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Gopal Rai) ने कहा कि सरकार इस मामले में आगे बढ़ने से पहले कोर्ट के आदेशों का अध्ययन करेगी. उन्होंने ये भी कहा कि हमारी सरकार कोर्ट के आदेशों पर अमल करेगी. 6 नवंबर को गोपाल राय ने कहा था कि 13 से 20 नवंबर तक दिल्ली में ऑड-ईवन प्रभावी रहेगा. दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद लोक सकर्ल्स के एक सर्वेक्षण में 64 फीसदी लोगों ने दिल्ली सरकार के ऑड-ईवन स्कीम लागू करने के फैसले का विरोध किया. अधिकांश लोगों का मानना है कि इससे प्रदूषण में कमी आने की कोई संभावना नहीं है.
एक-तिहाई लोगों ने किया फैसले का समर्थन
दरअसल, लोकल सर्कल्स ने दिल्ली में दिवाली के बाद ऑड-ईवन स्कीम लागू करने का फैसला सामने आने के बाद लोगों की राय जाने के लिए एक सर्वे किया. सर्वे में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम के निवासियों से 21 हजार लोगों को शामिल किया गया. सर्वे में शामिल प्रतिभागियों से जब यह पूछा गया कि क्या आप मानते हैं कि 13 से 20 नवंबर तक दिल्ली में ऑड-ईवन लागू होने से वायु प्रदूषण में कमी आएगी. 64 प्रतिशत प्रतिभागियों ने इसका जवाब न में दिया. सिर्फ, एक तिहाई लोगों ने सरकार के फैसले का समर्थन किया.
नियमों में छूट देने के विकल्पों से भी लोग सहमत नहीं
एक अन्य सवाल के जवाब में 56 प्रतिभागियों ने कहा कि ऑड और ईवन स्कीम लागू करने की स्थिति में किसी को छूट देने के का विरोध किया. लोगों ने दुपहिया वाहनों को छूट देने के मसले पर कहा कि ऐसा करने की जरूरत है. 44% लोगों ने अकेले या बच्चे के साथ महिला ड्राइवरों को छूट का विरोध किया. इसी तरह 33% लोगों ने निजी बसों में स्कूली बच्चों को ले जाने वाले छूट का भी विरोध किया. अन्य श्रेणियों में भी लोगों न छूट देने के विकल्पों से असहमत दिखे. बता दें कि दिल्ली पहली बार ऑड और ईवन स्कीम को साल 2016 में लागू किया गया था. उसके बाद साल 2019 में भी इस स्कीम को लागू किया गया था, लेकिन इसके परिणाम सार्थक नहीं निकले और प्रदूषण में मामूली कमी ही दर्ज किया गया.
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