Okhla Bird Sanctuary Delhi: दिल्ली-एनसीआर के शोरगुल के बीच दिल्ली-नोएडा सीमा पर एक ऐसी जगह है जो गगनचुंबी इमारतों और मोटर गाड़ियों के शोर शराबे से बिलकुल अलग है. ये जगह है- ओखला पक्षी विहार. चारों ओर यमुना का बहता पानी और पक्षियों की चहचहाहट इस पक्षी विहार को प्राकृतिक प्रेमियों का स्वर्ग बना देती है. जहां लोग घंटों बैठ कर सुकून महसूस करते हैं. ओखला पक्षी विहार में यूं तो अमूमन एक से दो हज़ार तक पक्षी रहते ही हैं लेकिन दिसम्बर के महीने की शुरुआत के साथ ही यहां विदेशों से पक्षियों का आना शुरू हो जाता है और यही वजह है कि अब यहां पहुंचने वाले सैलानियों की तादाद भी बढ़ गयी है.


कब है पक्षियों के आने का समय 
ओखला पक्षी विहार में हर साल नवंबर के शुरुआत और मार्च के अंत तक पक्षी आते है. बता दें कि हर साल यूरोप, अमेरिका, कनाडा, साइबेरिया, तिब्बत और कई देशों से हजारों मील की दूरी  तय करके ये  प्रवासी पक्षी ओखला पक्षी विहार तक पहुंचते हैं और इस बार भी इनका आना शुरू हो गया है. पक्षियों के आगमन ने इस पक्षी विहार की खूबसूरती में चार चांद लगा दिया है. साथ ही सैलानी भी अब ज्यादा संख्या में इन पक्षियों को देखने पहुंच रहे हैं.


क्या है अधिकारियों का कहना  
पक्षियों के आगमन को ले कर जब ओखला पक्षी विहार के रेंज फारेस्ट आफिसर अरविन्द मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह पक्षी हर साल नवंबर की शुरुआत में आना शुरू करते है और इस साल अब तक अब तक पांच हज़ार से ज्यादा पक्षी आ चुके है और अगले एक महीने में इनकी तादाद 10 से 15 हज़ार हो जाएगी. हालांकि इनमे से कुछ भारत के ही अलग अलग प्रान्तों से है जैसे हिमाचल प्रदेश, केरला, जम्मू कश्मीर और कई अन्य प्रदेशों से ओखला पक्षी विहार में फरवरी तक 80-90 प्रजाति के प्रवासी पक्षी आ जाते है. मार्च तक ये यही प्रवास करते है और फिर वापस चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस साल ओखला पक्षी विहार में येलो वैगटेल, ग्रीन सैंड पाइपर, ब्लैक बर्ड टर्न, यूरोपियन मार्श हैरियर नाम के पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए है.


बता दें कि पक्षी विहार में प्रवासी पक्षियों के लिए है कई खास इंतज़ाम भी किए गए है, जैसे जलकुंभी का आइलैंड बनाया गया है इसके साथ ही बांस और लकड़ियों के चबूतरे भी बनाए गए हैं और कई जगहों पर बांस के खंभे भी पानी मे गाड़े गए है जिस से पक्षी उनपर बैठ सकें.


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