दिल्ली की प्रतिष्ठित जामा मस्जिद (Jama Masjid) पर लगा एक बोर्ड इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, इस बोर्ड पर महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश को प्रतिबंधित किया गया है जिसके बाद इस मामले पर सियासी बयानबाजी और लोगों की नाराजगी भी देखी जा रही है.
मामले पर मस्जिद प्रबंधन ने किया बचाव
जामा मस्जिद के तीनों प्रवेश द्वारों पर लगे बोर्ड को लेकर जब एबीपी न्यूज़ ने जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी सबीउल्लाह खान से बात की तो उन्होंने कहा कि परिवार के साथ आने पर लड़की या महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई गई है लेकिन अकेले लड़कियों के आने पर रोक है. कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मस्जिद में वीडियो बनाना व कुछ ऐसे कृत्य होते रहे जो पूरी तरह अनुचित है. उसको देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. आरडब्ल्यूए जामा मस्जिद के जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद सलमान कुरेशी ने भी बचाव करते हुए कहा कि यह किसी जेंडर के खिलाफ नहीं बल्कि धार्मिक स्थल के वीडियो और रील बनाने पर लगाम लगाने के लिए किया गया है.
इस मामले को लेकर आम लोगों ने भी प्रतिक्रिया दी. दिल्ली के रहने वाले प्रभात रंजन मिश्रा ने कहा कि 'मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाना संविधान के खिलाफ है, धार्मिक स्थलों पर ऐसी बातों को लिखना कट्टर मानसिकता को दर्शाता है. इस निर्णय को मस्जिद प्रबंधन को तत्काल वापस ले लेना चाहिए.'
महिला आयोग ने लिया संज्ञान
दिल्ली महिला आयोग की वर्तमान अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस फैसले को पूरी तरह से गलत बताया है और कहा कि जितना हक एक पुरुष को इबादत करने का है उतना ही महिलाओं को भी है. इस तरह महिलाओं की एंट्री बैंन करने का अधिकार किसी को नहीं है. इस मामले को लेकर स्वाति मालीवाल ने जामा मस्जिद के इमाम के खिलाफ नोटिस जारी करने की बात कही है.
मामले पर VHP ने कसा तंज
मस्जिद के प्रवेश द्वार पर लगे बोर्ड पर हिंदी-उर्दू में लिखा हुआ है कि "जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है." हिंदुस्तान की ऐतिहासिक धरोहर जामा मस्जिद के तीनों प्रमुख द्वारों पर लगे इस बोर्ड की आलोचना भी हो रही है. जहां एक तरफ लोगों ने इसे संविधान के विपरीत व महिलाओं का अपमान बताया है वहीं, दूसरी तरफ इस मामले को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो चुकी है.
विश्व हिंदू परिषद के नेता विनोद बंसल ने इस मामले को लेकर तंज कसते हुए कहा कि "दिल्ली की जामा मस्जिद ने महिलाओं के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया लेकिन भाग्यनगर के उन भड़काऊ भाईजान का क्या होगा जो भारत के लिए बुर्का नसीन महिला को प्रधानमंत्री बनाने का सपना पाल रहे थे."
विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है दिल्ली का जामा मस्जिद
रमजान और मुस्लिम त्योहारों पर जामा मस्जिद पर उमड़ने वाली भीड़ और अदा की जाने वाली नमाज पर्यटकों के साथ देश-दुनिया को प्रभावित करती है. मुगल साम्राज्य के शासक शाहजहां द्वारा 1950 से 1956 के बीच इसे स्थापित किया गया था, 5000 से ज्यादा मजदूरों द्वारा लाल व सफेद मार्बल के पत्थरों की विशेष कारीगरी से इसे तैयार किया गया था. आज जामा मस्जिद की गिनती हिंदुस्तानी ही नहीं बल्कि विश्व की ऐतिहासिक धरोहरों में की जाती है. यहां से जारी हुआ फरमान-आदेश अन्य मुस्लिम देशों के लिए भी मायने रखता है.
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