भारत में ऑनलाइन एजुकेशन कितनी कारगर है इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं. कोरोना काल में बार-बार फिजिकल क्लासेस बंद करके ऑनलाइन क्लासेस कंडक्ट करायी गईं लेकिन क्या वाकई इनका लाभ उठाया जा सका. कम से कम रिपोर्ट्स तो यही बताती हैं कि पढ़ाई को सिवाय नुकसान के इस ऑनलाइन कक्षा ने कुछ नहीं दिया है. हाल ही में हुई एक स्टडी में ऑनलाइन एजुकेशन के फायदों को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.


इस स्टडी में पता चला है कि हमारे देश मे करीब 40 से 70 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन एजुकेशन का फायदा नहीं उठा सकते क्योंकि उनके पास इसके लिए डिवाइस ही नहीं है.


बच्चों से नहीं हो पाता जुड़ाव –


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्टडी में करीब 80 प्रतिशत शिक्षकों ने ये स्वीकार की ऑनलाइन कक्षाओं में वे अपने छात्रों के साथ वो जुड़ाव नहीं बना पाते जो एक शिक्षक और छात्र के बीच होना चाहिए.


ये स्टडी बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप द्वारा की गई जिसमें कहा गया कि ऑनलाइन क्लासेस के कारण करीब 90 प्रतिशत बच्चों ने एक भाषा पर से पकड़ खो दी. साथ ही ये भी कहा गया कि इंडिया उस विचारधारा पर चलता है जहां स्कूलों को सबसे आखिर में बंद किया जाता है और सबसे पहले खोला जाता है. हालांकि कोरोना काल में जिस प्रकार बड़े स्तर पर स्कूलों को बंद किया गया उससे पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ. कायदा यह है कि ग्राम, वार्ड, पंचायत या शहर के स्तर पर स्कूलों को जरूरत के मुताबिक बंद किया जाना चाहिए ना कि सभी को एक बार में एक साथ बंद करने के आदेश पारित होने चाहिए.


जहां केस नहीं थे वहां भी स्कूल हुए बंद –


स्टडी में आगे कहा गया कि स्कूलों को बंद करने को लेकर केंद्रित आदेश पारित किया गया और ऐसे जिलों के स्कूल भी जबरदस्ती बंद कर दिए गए जहां रोज के 25 कोविड केस भी नहीं थे. रिपोर्ट में ये भी आग्रह किया गया कि सेफ्टी प्रोटोकॉल्स, वैक्सीनेशन, टेस्टिंग आदि का ध्यान रखते हुए स्कूलों को खोलना चाहिए या ब्लंडेड यानी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की कक्षाएं संचालित होनी चाहिए. 


यह भी पढ़ें:


Delhi Vaccination: दिल्ली में 85 फीसदी बच्चों को लगी वैक्सीन, स्कूल खुलने को लेकर मनीष सिसोदिया ने दिया ये बयान 


UP News: यूपी TET की परीक्षा में पकड़ा गया, ‘मुन्ना भाई’, पुलिस ने ऐसे किया भंडाफोड़