Delhi News: बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को 4 घंटे तक चली विपक्षी नेताओं की बैठक खत्म होने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए. AAP ने एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अभी तक केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में लाए गए अध्यादेश के खिलाफ अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है. ऐसे में अब लोग पूछ रहे हैं कि क्या विपक्ष को एकजुट करने के लिए 9 हजार से ज्यादा किलोमीटर की दौड़ लगाने वाले सीएम केजरीवाल खुद ही विपक्षी एकता से जुदा हो जाएंगे?
जानकारी के अनुसार, विपक्षी नेताओं की बैठक में अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस का चुप्पी साधे रखना आप नेताओं को पसंद नहीं आया. इसीलिए सीएम केजरीवाल प्रेंस कॉन्फ्रेंस में शामिल न होकर वहां से सीधा निकल गए. हालांकि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने 24 घंटे पहले ही ऐसा कुछ होने की आशंका जता दी थी. सूत्रों के हवाले से ये बात सामने आई थी कि अगर अध्यादेश के मुद्दे पर AAP को कांग्रेस का समर्थन नहीं मिलता है तो वो मीटिंग से वॉकआउट कर सकते हैं. बहराल, सीएम केजरीवाल और सीएम मान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल न होकर जनता को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.
वोटिंग के वक्त कांग्रेस करेगी वॉकआउट?
ये बात अलग है कि AAP ने आखिरी मौके तक 'दवाब की राजनीति' करने की पूरी कोशिश की थी. विपक्षी महाजुटान से ठीक पहले आप संयोजक ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी हमला बोला था, और कहा था कि दिल्ली में अध्यादेश को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच डील हो गई है. सीएम केजरीवाल ने दावा किया कि इस डील के मुताबिक, दिल्ली से संबंधित विधेयक पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस राज्यसभा से वॉकआउट करेगी. अब जब बैठक पूरी होने के बाद भी कांग्रेस अध्यादेश को लेकर कुछ नहीं बोली तो लोग सीएम नीतीश कुमार के आवास पर दिए गए सीएम केजरीवाल के इस बयान के मायने तलाशने लगे हैं.
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