Delhi News: आम आमदी पार्टी के महासचिव संदीप पाठक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वर्तमान में देश को जरूरत है कि सभी विपक्षी दल एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ें और प्रभावी सरकार बनाएं. ऐसा कांग्रेस के सहयोग के बगैर संभव नहीं है. विपक्षी एकता देश की सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस के रवैये निर्भर है. इसके अलावा संदीप पाठक ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर आप चुनाव लड़ेगी और जीत भी हासिल करेगी. 


आप नेता संदीप पाठक ने मोदी सरकार पर सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों को बर्बाद करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि बीजेपी को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्षी दलों को एक साथ आना चाहिए. यह कांग्रेस पर निर्भर करता है. अगर कांग्रेस खुले दिल वाली है और सभी को साथ लेकर चलने को तैयार है तभी कुछ होना  संभव है. अगर कांग्रेस अहंकारी होने का परिचय देगी तो विपक्षी एकता जैसी चीजें मुश्किल होंगी. आप नेता संदीप पाठक ने दिल्ली और हरियाणा के नेताओं के साथ बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा था कि विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता पर जोर दिया है. 


कांग्रेस ने अभी तक नहीं की अध्यादेश की निंदा


आप के महासचिव ने कहा कि केंद्र का अध्यादेश उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित मामलों को छोड़कर अन्य मामलों का नियंत्रण सौंपने के बाद लाया गया था. शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों का स्थानांतरण और तैनाती एलजी विनय सक्सेना के नियंत्रण में थी. आप इस मसले पर कई गैर बीजेपी दलों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी तक अध्यादेश की निंदा नहीं की है.


आप का गठबंधन का हिस्सा बनना मुश्किल


बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 23 जून को पटना में मोदी सरकार और बीजेपी के खिलाफ विपक्षी नेताओं की पहली एकता बैठक में शामिल हुए थे. बैठक के तत्काल बाद आम आमदी पार्टी ने दावा किया था कि कांग्रेस ने केंद्र के अध्यादेश की निंदा करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है. अगर कांग्रेस अपने रवैये पर अडिग रही तो आप का किसी भी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनना मुश्किल होगा. इसके उलट कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि केंद्र के अध्यादेश का विरोध करना है या नहीं, इस पर फैसला संसद के मॉनसून सत्र से पहले लिया जाएगा. 


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