Supreme Court Order: 'दादा-दादी मौसी से बेहतर रख सकते हैं बच्चे का ध्यान', बच्चे की कस्टडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court Order: कोविड के दौरान अनाथ हुए छः साल के बच्चे की कस्टडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है कि मौसी से बेहतर देखभाल कर सकते है दादा-दादी.
Delhi News; सुप्रीम कोर्ट ने एक अनाथ बच्चे के मामले में अनोखा फैसला सुनाया है. कोविड के दौरान अनाथ हुए छः साल के बच्चे को सुप्रीम कोर्ट ने उसके मौसी से लेकर दादा-दादी को सौंप दिया है. गुजरात हाई कोर्ट का मानना था कि मौसी कमाऊ है इसलिए वह बेहतर देखभाल करेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट मानता है कि दादा-दादी ज्यादा अच्छी तरह जिम्मेदारी निभाएंगे क्योंकि दादा-दादी को पोते से ज्यादा लगाव होता है.
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि दादा-दादी अपने पोते की ज्यादा अच्छी देखभाल कर सकते हैं. उनकी प्यार और क्षमता पर संदेह नहीं किया जा सकता. भावनात्मक रूप से भी हमेशा दादा-दादी अपने पोते की ज्यादा बेहतर देखभाल करेंगे. इन टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कोविड महामारी में माता-पिता खोकर अनाथ हुए पांच साल के बच्चे की कस्टडी मौसी से लेकर दादा-दादी को सौंप दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी दादा-दादी के बजाय मौसी को सौंपने का गुजरात हाई कोर्ट का आदेश रद कर दिया है. हाई कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मौसी को इस आधार पर दी थी कि मौसी अविवाहित है, सरकारी नौकरी में है और अच्छा वेतन पाती है. जबकि दादा-दादी 71 और 63 वर्ष के हैं और सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनका खर्च पेंशन से चलता है. हालांकि हाई कोर्ट ने दादा-दादी को पोते से मिलने का अधिकार दिया था.
ये भी पढ़ें