Delhi Cyber Crime News: बाहरी उत्तरी दिल्ली के साइबर क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को बड़े साइबर सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया. इस मामले में साइबर पुलिस ने गोरखपुर निवासी राहुल श्रीवास्तव को यूपी के नोएडा से गिरफ्तार किया है. आरोपी साल 2023 से लगातार इस तरह के अपराध अंजाम दे रहा था. 


आरोपी राहुल शेल कंपनी रूद्र टेडर्स से जुड़ा हुआ था. शेल कंपनी रूद्र ट्रेडर्स पूरे देश में NCPR पर दर्ज कुल 33 साइबर फ्राड के मामलों में शामिल पाई गई है. कंपनी से ज्यादा रिटर्न पाने के वादे पर दिल्ली के युवक ने 20 लाख रुपये का लोन लेकर 30.50 लाख रुपये निवेश किए. जब उसे फ्रॉड होने का पता चला तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई.


फेक आईडी और सिमकार्ड का इस्तेमाल


डीसीपी के मुताबिक साइबर क्रिमिनलों के पकड़े जाने से देश भर में साइबर धोखाधड़ी के मामलों का पता चला है. आरोपी साइबर फ्राड करने के लिए फेक आईडी पर लिए सिमकार्ड और बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे. 


मोबाइल, चेकबुक, सिमकार्ड और डेबिट बरामद 


साल 2023 से आरोपी और उसके साथी व्हाट्सएप ग्रुप और टेलीग्राम के जरिए लोगों को ठग रहे थे. आरोपी राहुल के पास से 2 मोबाइल, 5 चेकबुक, 5 डेबिट कार्ड, 5 सिमकार्ड, एक संजय के नाम का आधार कार्ड बरामद किया है. 


पुलिस को मिली थी 30 लाख फ्रॉड की शिकायत 


डीसीपी के मुताबिक 14 मई 2024 को आउटर नॉर्थ दिल्ली साइबर क्राइम पुलिस को 30 लाख रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में एक शिकायत मिली थी. बाहरी उत्तरी जिला क्षेत्राधिकार के निवासी शिकायतकर्ता पवन कुमार ने कहा कि वह गोल्डमैन कंपनी के साथ शेयर बाजार में निवेश पर गारंटीकृत उच्च रिटर्न के विज्ञापन में आया. उन्हें कंपनी प्रशासकों के व्हाट्सएप समूह में शामिल होने का भी निर्देश दिया गया. 


आरोपी ने ऐसे छुपाई मूल पहचान 


वे हाई रिटर्न और बाजार के रुझानों के नकली स्क्रीनशॉट पोस्ट कर रहे थे, जो उनकी भविष्यवाणियों से सटीक रूप से मेल खाते थे. ग्रुप का एक सदस्य लोगों को फंसाने के लिए स्क्रीनशॉट को पोस्ट करता था और अन्य पीड़ितों को गुमराह करते थे. साथ ही कंपनी को फंसाने के लिए प्रचार करते थे. अब इस मामले में साइबर पुलिस ने न केवल आ राहुल श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया है बल्कि आगे की तफ्तीश में भी जुटी है.


हैरानी की बात यह है कि राहुल कुमार श्रीवास्तव की पहचान काल्पनिक नाम संजय, पिता का नाम सत्ती के रूप में हुई. राहुल ने स्वीकार किया कि उसने संजय के नाम से नकली आधार और पैन कार्ड बनाया, जिससे उसकी मूल पहचान बदल गई. इसका फायदा उठाकर वह साइबर फ्रॉड की गतिविधियों को अंजाम दे रहा था.


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