दूध बेचने से लेकर 49 हजार करोड़ के गबन तक... अब जेल में हुई पर्ल्स ग्रुप के मालिक निर्मल भंगू की मौत
Nirmal Singh Bhangoo: पर्ल्स ग्रुप के निर्मल सिंह भंगू कथित तौर पर अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं के माध्यम से 49,100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र की. उन पर 5.5 करोड़ निवेशकों को ठगने का आरोप है.
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Nirmal Singh Bhangoo News: दूध बेचने से लेकर करोड़ों रुपये के कथित चिटफंड घोटाले में आरोपी और तिहाड़ जेल में बंद पर्ल्स ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक निर्मल सिंह भंगू का सोमवार को पश्चिमी दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. अधिकारियों ने बताया कि 68 वर्षीय भंगू कई बीमारियों से पीड़ित थे. हाल ही में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी हुई थी.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वह 2016 से तिहाड़ जेल में बंद थे. तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक रविवार शाम छह बजकर 25 मिनट उन्होंने तबीयत खराब होने की शिकायत की थी. उसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
इन बीमारियों से थे पीड़ित थे
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक निर्मल सिंह भंगू जेल नंबर 8 से 9 में बंद थे. उन्हें पहले जेल की डिस्पेंसरी ले जाया गया, जहां से उन्हें डीडीयू अस्पताल रेफर कर दिया गया. डीडीयू अस्पताल में इलाज के दौरान बीती रात 12 बजकर 30 बजे उनकी मौत हो गई. वह कोरोनरी धमनी रोग, किडनी प्रत्यारोपण के बाद की जटिलताओं, पेट में तकलीफ, घबराहट, उच्च सीरम क्रिएटिनिन स्तर और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से पीड़ित थे.
5.5 करोड़ निवेशकों को ठगने का आरोप
पीएसीएल (पर्ल्स एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड) और इसके प्रवर्तक एवं निदेशक मंडल निर्मल सिंह भंगू भी शामिल थे. वह कई वर्षों से निवेशकों को चिट फंड योजनाओं के माध्यम से एकत्र किए गए 49,100 करोड़ रुपये वापस करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए कानूनी लड़ाई में उलझे हुए थे. सेबी के अनुसार पीएसीएल को पर्ल्स ग्रुप के रूप में भी जाना जाता है, जिसने कृषि और रियल एस्टेट व्यवसायों के लिए जनता से पैसा जुटाया था.
निर्मल सिंह भंगू की पर्ल्स ग्रुप ने कथित तौर पर 18 साल की अवधि में अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के माध्यम से 49,100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र किए. उन पर करीब 5.5 करोड़ निवेशकों को ठगने का आरोप है.
दूध बेचने से की थी कारोबार की शुरुआत
मूल रूप से पंजाब के बरनाला के रहने वाले भंगू ने युवावस्था में दूध बेचने का काम किया था. भंगू राजनीति विज्ञान में स्नातक था. वह 1970 के दशक में कोलकाता चले गए और कथित तौर पर उन्हें पहली बार चिट-फंड कंपनी में काम करने का अनुभव हुआ. 1980 में अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने से पहले वे निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाली हरियाणा की एक कंपनी में शामिल हो गए.
भंगू की कंपनी पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट (PGF) ने 1996 में आयकर जांच के कारण बंद होने से पहले लाखों डॉलर कमाए थे. इसके बाद भंगू ने पर्ल्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, ARSS इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और जैन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड शुरू की, लेकिन इस बार शिकायतें केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के दरवाजे तक पहुंच गईं. तब तक निर्मल सिंह भंगू ने 2.3 मिलियन से अधिक कमीशन एजेंटों को भर्ती कर लिया था, जिनमें 1,700 से अधिक वरिष्ठ-स्तर के फील्ड अधिकारी शामिल थे, जिन्हें निवेशकों को लाने के लिए मासिक कमीशन के रूप में लाखों डॉलर दिए जाते थे.
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