Delhi News: दिल्ली HC ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ अदालत की अवमानना की आपराधिक कार्यवाही शुरू की है. दिल्ली हाई कोर्ट ने ये कार्रवाई तब शुरू की जब अदालत द्वारा नियुक्त लोकल कमिश्नर एक मामले में निरीक्षण के लिए गए तो इस व्यक्ति ने कथित तौर पर लोकल कमिश्नर को धमकाने के लिए पिस्तौल दिखाई.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि कोर्ट द्वारा नियुक्त लोकल कमिश्नर नंदिनी बाली की रिपोर्ट के मुताबिक नितिन बंसल नाम के व्यक्ति ने जोकि मामले में प्रतिवादी का पुत्र है. उसने लोकल कमिश्नर को धमकाने और मजबूर करने के मकसद से पिस्तौल निकाली और उनके सामने मेज पर रख दी.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा ?
अदालत का मानना है कि ऐसा आचरण प्रथम दृष्टया न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप का मामला है. यह अदालत की आपराधिक अवमानना के समान है. हाई कोर्ट ने 28 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा है कि "लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट और भूपानी थाना के ASI के बयान के मद्देनजर, जिनका कहना था कि जब उन्होंने कार्यालय के कमरे में प्रवेश किया, तो पिस्तौल (एयर गन) मेज पर मौजूद थी.
अदालत का मत है कि प्रथम दृष्टया ये न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप का मामला बनता है जो आपराधिक अवमानना के बराबर है. नितिन बंसल ने अदालत के एक अधिकारी को रोका है, जो अदालत द्वारा सौंपे गए अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए गए थे.
याचिकाकर्ता बीना ने HC में याचिका की दायर
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता बीना ने HC में याचिका दायर कर अशोक बंसल नाम के व्यक्ति के खिलाफ अंतरिम आदेश की मांग की थी ताकि उसे 30,000 टन औद्योगिक कोयला सामग्री का निपटान करने से रोका जा सके, जिसे कथित तौर पर याचिकाकर्ता के पति ने अपनी फार्म के माध्यम से हासिल किया था.
31 मई, 2024 को अदालत ने एक आदेश जारी कर अशोक बंसल को कोयले को संभालने या उससे निपटने से रोक दिया था, जबकि मामले को आगे के लिए स्थगित कर दिया गया था.
इसके बाद, याचिकाकर्ता का आरोप था कि कि अशोक बंसल अदालत के 31 मई के आदेश का उल्लंघन कर रहा है, जिसके बाद अदालत ने अधिवक्ता नंदिनी बाली को लोकल कमिश्नर नियुक्त किया था ताकि यह निरीक्षण किया जा सके कि कथित उल्लंघन हुआ भी है या नहीं.
रिपाेर्ट में कहा-अशोक बंसल ने अदालत के 31 मई के आदेश का किया उल्लंघन
बीते 17 सितंबर को बाली ने एक निरीक्षण रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि अशोक बंसल ने अदालत के 31 मई के आदेश का उल्लंघन किया है तथा अदालत की अवमानना की है.अदालत ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक , निरीक्षण के दौरान नितिन बंसल आक्रामक हो गया और उसने एक हथियार (पिस्तौल/बंदूक) निकालकर दफ़्तर की मेज पर रख दिया, ताकि बाली को कथित तौर पर धमकाया जा सके.जिसके बाद अदालत ने नितिन बंसल को अगली सुनवाई की तारीख पर अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था.साथ ही उन्हें एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि अदालत के आदेश के मुताबिक जब कार्यवाही चल रही थी, तो वह बंदूक कैसे निकाल सकते है.
इसके बाद बंसल ने हलफनामा दायर कर दावा किया. जिसमेंं कहा जिस बंदूक की बात हो रही है, वह असल में एक गैर-घातक एयर गन (खिलौना बंदूक) है, जिसका मकसद परिसर में बंदरों और आवारा कुत्तों जैसे जानवरों को डराना है, क्योंकि फैक्ट्री एक दूरदराज के इलाके में स्थित है. हलफनामे में आगे कहा गया है कि लोकल कमिश्नर के आने से पहले ही एयर गन टेबल पर पड़ी थी.
हालाँकि, अदालत ने बंसल के हलफनामे में कही गई बात को नहीं माना और कहा कि मेज पर हथियार रखना किसी भी व्यक्ति को डराने के लिए पर्याप्त है।
अदालत ने मानने से किया इनकार
अदालत ने ये बात मानने से इनकार कर दिया कि विचाराधीन पिस्तौल केवल एक खिलौना बंदूक थी जिसका मकसद पशुओं को डराना था, अदालत ने सवाल किया कि छर्रे रहित खिलौना बंदूक पशुओं और बंदरों को कैसे डरा सकती है.
इसके बाद अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह नितिन बंसल के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए मामले को हाइ कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजें.
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