Mughal Garden: केंद्र सरकार ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के ‘मुगल गार्डन’ का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ कर दिया है. सरकार के इस फैसले पर नया विवाद शुरू हो गया है. इस मसले पर मौलानाओं का कहना है कि मोदी सरकार ने ऐसा हिंदुओं को खुश करने के लिए किया है. मुस्लिम मौलवी साजिद राशिद ने कहा कि हिंदुओं को खुश करने के लिए मुगल गार्डन का नाम बदल गया है. मेरा मानना है की अगर सरकार को नाम ही बदलना था तो झूठे वादे न करती. यदि ऐसा ही चलता रहा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी बना दिया जाएगा. कोई एक समूह मोदी को ही राष्ट्रपति मानने लगेंगे.
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि नाम बदलना भारतीय जनता पार्टी सरकार की ये आदतों में शुमार है. वो अभी तक शहरों और सड़कों का नाम बदलते रहे हैं. अब गार्डन का नाम बदलने का सिलसिला भी शुरू हो गया. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए वो अपना गार्डन बनाएं और उसका अपनी मर्जी से नाम रखें. नई सरकार आएगी वो भी नाम बदलेगी. फिर कोई सरकार आएगी वो भी नाम बदलेगी. सरकार अपना काम करे. मोदी सरकार विकास का काम करे. नाम बदलने की राजनीति की मैं निंदा करता हूं। बनाई हुई चीज का नाम बदलने का हक इनको नहीं है. अपने बच्चे का नाम पडोसी नहीं रखते. इसे विकास का नाम नहीं दिया जा सकता. अंग्रेजों के रक्खे हुए नाम को बदलना इतिहास नहीं है. नासमझ लोगों के हाथ में अब सरकार आ गई है.
क्या नाम बदलने से देश का विकास हो जाएगा?
इस मसले पर एआईएमआईएम प्रवक्ता वारिस पठान ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या मुगल गार्डन और टीपू सुल्तान गार्डन का नाम बदलने से देश का विकास हो जाएगा? बेरोजगारी खत्म हो जाएगी? क्या पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ जाएगी? सच यह है कि बीजेपी लोगों का असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए केवल नामकरण की राजनीति कर रही है. बता दें कि केंद्र सरकार ने एक दिन पहले मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है.
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