Pradhan Mantri Jan Aushadhi Kendra: आज के इस भागदौड़ और प्रदूषण से भरे समय में लगभग हर घर में कोई न कोई, किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है. हर महीने इलाज और दवाओं के नाम पर लोगों को हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. दवा का व्यापार भारत में काफी फल-फूल रहा है और इसके व्यापारी इससे मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं. कई बार दवाइयां इतनी महंगी होती हैं कि लोअर मिडल क्लास फैमिली या गरीब-मजदूर वर्ग के लोगों को उसे खरीदने से पहले सोचना पड़ता है. शायद तब भी वो उसे खरीद नहीं पाते हैं. ये तब ज्यादा खलने लगता है, जब चंद रुपयों की कमी की वजह से किसी की जान तक चली जाती है.


लोगों की इसी समस्या को देखते हुए पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'प्रधानमंत्री जन औषधि योजना' की शुरुआत की थी. इसमें दवाएं बाजार में उपलब्ध दवाइयों की तुलना में 70 से 80 प्रतिशत तक सस्ती मिलती हैं और लोग आसानी से इसे खरीद पाते हैं. आज भी बहुत ज्यादा लोग इसके बारे में जानते नहीं हैं या इसके प्रति जागरूक नहीं हैं. इसी को देखते हुए इस बार पांचवें जन औषधि दिवस को जन औषधि सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है. एक मार्च से शुरू हुआ ये जन औषधि सप्ताह सात मार्च तक चलेगा. इसमें सातों दिन अलग-अलग तरीके से लोगों को सस्ती दवा के फायदों के बारे में बता कर उन्हें जागरूक बनाया जा रहा है.


जन औषधि सप्ताह में लोगों को किया जा रहा जागरूक


दिल्ली के द्वारका स्थित स्टोर कोडिनेटर रॉबिन शर्मा ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी जागरूता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, लेकिन इस बार सात दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसमें इन सात दिनों के दौरान हर दिन अलग-अलग तरह से लोगों के बीच प्रधानमंत्री जन औषधि के बारे में चेतना फैलाने की कोशिश की जा रही है. पहले दिन जहां जन चेतना अभियान चलाया गया तो वहीं गुरुवार को जन औषधि प्रतिज्ञा यात्रा निकाल कर लोगों को इन दवाओं के फायदे और होने वाली बचत के बारे में बताया गया. इसके बाद शुक्रवार को जन औषधि बाल मित्र और फिर जन आरोग्य मेला जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को इन दवाओं के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाएगा.


'जन औषधि केंद्र से बेहतर वरदान कुछ और नहीं हो सकता'


इससे जुड़ी जानकारी और लोगों की प्रतिक्रिया जानने एबीपी लाइव पश्चिमी दिल्ली के सबसे पहले जेनरिक मेडिसिन शॉप पर पहुंची, जहां जन औषधि मित्र चंद्रशेखर राय और दवा खरीदने पहुंचे लोगों ने कहा कि पीएम मोदी की ओर से गरीबों के लिए शुरू की गई इस जन औषधि केंद्र से बेहतर वरदान कुछ और नहीं हो सकता है. बाजारों में हजारों में मिलने वाली दवाएं महज कुछ सौ रुपये में मिल जाते हैं. लोगों का कहना है कि कंपनी के नाम का सिर्फ फर्क होता है, बाकी दवाएं, फायदा, कंपोजिशन सब सेम होता है. दवा लेने के लिए आए लोगों ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके घर के पास ही ये दुकान खुली हैं और वो चाहते हैं कि सरकार, ज्यादा से ज्यादा जन औषधि केंद्र खोलें, जिससे आसानी से लोग उन दवा केंद्रों तक पहुंच सकें.


अब तक लोगों के छह करोड़ रुपये बचे


बता दें कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर सस्ती जेनरिक दवाएं मिलती हैं, जो मार्केट में उपलब्ध ब्रांडेड दवाइयों से काफी सस्ती होती हैं. 2014 के बाद से जेनरिक दवाओं की खपत बढ़ी है. इन बीते सालों में देश भर के 9000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र से 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जेनरिक दवाएं बेची जा चुकी हैं. इन जेनरिक दवाओं से अब तक लोगों के छह करोड़ से ज्यादा रुपये बचे हैं. वहीं दिल्ली में 388 जन औषधि केंद्र हैं और आने वाले समय मे इसकी संख्या दिल्ली सहित देश भर में बढ़ाई जाएगी.


जेनरिक दवाओं के कंपोजिशन और बाजार में उपलब्ध महंगी दवाओं के कंपोजिशन में कोई अंतर नहीं होता है. अगर अंतर होता है तो सिर्फ कीमत का, जिसका फायदा उन आम लोगों को मिलता है, जो महंगी दवा नहीं खरीद पाते हैं या खरीदते हैं तो अपनी किसी जरूरतों को कुर्बानी उन्हें देनी पड़ती है. पीएम मोदी की इस योजना से अब लोग दवाओं में होने वाले खर्चों से बचत कर के अपनी दूसरी जरूरतों को भी पूरा कर पा रहे हैं.


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