New Delhi: प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले देश के 29 बच्चों ने अलग अलग क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. इनमें किसी ने टूटे हुए कांच पर नृत्य का करतब दिखाया तो किसी ने आतंकवादियों को बातचीत में उलझाकर अपने परिवार की जान बचाई. कई बच्चों ने नवाचार और समाजसेवा के क्षेत्र में इस कम उम्र में ही अपनी हुनर की बानगी पेश की है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी’ का इस्तेमाल करते हुए इन बच्चों को डिजिटल प्रमाणपत्र प्रदान किया. इन बच्चों को नवाचार, सामाजिक सेवा, शैक्षणिक क्ष्रेत्र, खेल, कला और संस्कृति और वीरता की श्रेणियों में उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत किया गया. 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के इन पुरस्कार विजेताओं में 15 लड़के और 14 लड़कियां शामिल हैं.


बाल पुरस्कार जीतने वाले कुछ बच्चों की यह है गौरव गाथा 
यह पुरस्कार विजेता हर साल गणतंत्र दिवस परेड में भी भाग लेते हैं. प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिए जाते हैं. इन पुरस्कृत बच्चों में शामिल 16 साल की रेमोना एवेट परेरा भरतनाट्यम की हुनर रखती हैं. वह टूटे हुए कांच पर, आग के बीच अपने हुनर का जलवा बिखेर चुकी हैं. उनका नाम ‘बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड-लंदन 2017’, ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2017’ और ‘भारत बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2017’ में आ चुका है.






गौरव माहेश्वरी (13) हस्तलिपि में महारत रखते हैं. वह ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2017’ और ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2017’ में भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. इसी तरह 13 साल के सैयद फतीन अहमद पियानो वादन में कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाएं जीत चुके हैं.


बहादुरी के लिए बाल पुरस्कार पाने वाली शिवांगी काले ने छः साल की उम्र में अपनी मां और बहन को करंट लगने पर बचाया था. धीरज कुमार (14) ने गंडक नदी में अपने भाई को घड़ियाल से बचाया था.


सरकार ने 12 वर्षीय गुरुंग हिमाप्रिया को बाल पुरस्कार से सम्मानित किया है. जम्मू में फरवरी, 2018 में हुए आतंकी हमले के समय हथगोला लगने से घायल हुई थीं. उन्होंने आतंकवादियों को चार से पांच घंटे बातचीत में उलझाए रखा और अपने परिवार को निशाना बनने से बचाया था.


 


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