Delhi News: दिल्ली सहित देश भर में इन दिनों नवरात्रि (Navratri) चल रहे हैं. श्रद्धालु घरों में माता की पूजा के साथ-साथ मंदिरों में भी दर्शन और पूजन के लिए पहुंच रहे हैं. 9 दिनों तक चलने वाली इस पूजा के लिए माता के भक्तों में काफी उत्साह और श्रद्धा-भाव होता है, इसलिए लोग पहले से ही इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं और फिर हर दिन माता के मंदिर में पूजा के लिए पहुंचते हैं. दिल्ली में कालकाजी मंदिर (Kalka Ji Temple) और छतरपुर मंदिर (Chhatarpur Mandir) के अलावा माता के कई मंदिर हैं, जिन्हें लेकर भक्तों में काफी आस्था और मान्यताएं हैं.


वहीं इनमें से एक, प्रीत विहार स्थित गुफा वाला मंदिर है. जहां माता का दर्शन पिंडी के रूप में होता है. यही वजह है कि भक्तों में इस मंदिर को काफी श्रद्धा-भाव है. इस मंदिर का नाम गुफा वाला मंदिर, इसके गुफानुमा रास्ते के कारण पड़ा है. यहां, माता वैष्णों देवी गुफा की तर्ज पर ही गुफा बनाई गई है, जिसकी लंबाई 140 फीट है. इस गुफा से होकर माता के पिंडी दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को माता वैष्णो देवी की गुफा का अनुभव होता है.


लोगों ने मिलकर करवाया मंदिर का निर्माण


गुफा से बाहर निकलते ही भैरों बाबा के दर्शन होते हैं. इस मंदिर का निर्माण यहां आस-पास रहने वाले लोगों ने मिलकर करवाया है. 1987 में इस मंदिर के बनने की शुरुआत हुई थी. उस वक्त इसे मात्र एक कमरे जितनी जगह में बनाने की योजना थी, लेकिन निर्माण कार्य की शुरुआत के बाद इसका विस्तार होता चला गया. खास बात यह है कि लोगों ने आपस मे पैसों को इकट्ठा कर इस मंदिर का निर्माण करवाया है.


1996 से लगातार जल रही है अखंड-जोत


आज यह मंदिर दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार है, जहां हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ माता के पिंडी दर्शन-पूजन के लिए पहुंचती है. भक्तों की यह संख्या नवरात्रि के समय काफी बढ़ जाती है और इसका गुफानुमा रास्ता भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. इस मंदिर के निर्माण के बाद, साल 1996 में यहां एक अखंड जोत स्थापित की गई, जो तब से अब तक लगातार जल रही है. खास बात यह है कि इस ज्वाला जी मंदिर से लाई गई जोत से इस अखंड जोत को प्रज्ज्वलित किया गया था और तब से यह आज तक लगातार जल रही है.


सभी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं एक साथ


गुफा से बाहर निकलते ही ऊंचाई पर जाने के लिए पुलनुमा रास्ता बना हुआ है. इस रास्ते पर चलते हुए श्रद्धालुओं को महा ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं. यहां सभी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन एक साथ हो जाते हैं. यह महा ज्योतिर्लिंग 24 फुट ऊंचा, 24 फुट लंबा और 16 फुट चौड़ा है. इसका वजन 55 हजार किलो है. इसके अलावा मंदिर में 111 शिवलिंग भी स्थापित हैं.


मन्नत पेड़ से लोगों की मनोकामनाएं होती हैं पूरी


इस मंदिर में एक छोटी गुफा भी हैं, जहां चिंतपूर्णी माता और काल्पायिनी माता के दर्शन होते हैं. माता के अलावा श्रद्धालुओं को यहां भगवान गणेश, हनुमान, साईं बाबा और नवगृह आदि के दर्शन का लाभ भी मिल जाता है. इस मंदिर में एक मन्नत पेड़ भी है. ऐसी मान्यता है कि, इस पेड़ में लोग मन्नत मांगने के बाद चुन्नी बांधते हैं और फिर मन्नत पूरी होने के बाद चुन्नी खोल देते हैं. श्रद्धालुओं के अनुसार मंदिर में मांगी जाने वाली मन्नत अवश्य पूरी होती है.


फूलों से होता है माता का श्रृंगार


हर दिन सुबह 5 बजे यहां माता का श्रृंगार किया जाता है. 16 श्रृंगार के अलावा फूलों, आभूषणों से माता को सजाया जाता है. यहां पर औसतन हर दिन 10 से 15 हजार लोग आते हैं. यह संख्या नवरात्र की सप्तमी और अष्टमी में बढ़कर करीब 30 से 50 हजार तक हो जाती है. नवरात्र के दिन मंदिर सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक खुला रहता है, जबकि सामान्य दिनों में यह मंदिर सुबह 5 से दोपहर 12 बजे तक और फिर शाम 4 से 9 बजे तक खुला रहता है.


मंदिर तक पहुंचने के ये हैं विकल्प


मेट्रो से प्रीत विहार मेट्रो स्टेशन तक पहुंचा जा सकता है, जहां से बाहर निकलने के बाद ऑटो या रिक्शे से मंदिर तक पहुंच सकते हैं. इसके अलावा बस से भी यहां पहुंचा जा सकता है. बस स्टॉप मंदिर के निकट ही स्थित है. वहीं निजी वाहन, टैक्सी-कैब से भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.


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