President Ram Nath Kovid Receives Copy Of A Book: देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) ने आज यानी 9 मार्च को राष्ट्रपति भवन में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध संकलन "भारतीय संस्कृति में मानवीय जिजीविषा" की पहली प्रति आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्ष एवं निबंध संकलन की संपादक डॉ अपर्णा द्विवेदी से प्राप्त की. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टी नूपुर पाण्डेय, रत्नेश मिश्र और अशोक महेश्वरी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे.


राष्ट्रपति ने आचार्य हजारी प्रसाद के योगदान को सराहा


भारतीय परंपरा में आधुनिकता और आधुनिकता में परंपरा के द्रष्टा, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भाषा विज्ञान, समालोचना, सांस्कृतिक विमर्श, उपन्यास और निबंध के क्षेत्र में एक अलग छाप छोड़ी. संत कबीर को महान साहित्यिक कवि के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है. गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के सानिध्य में उनके योगदान ने देश की साहित्यिक विरासत को काफी मजबूत किया. इस अवसर पर अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में राष्ट्रपति ने कबीर जैसे कवियों के कृतित्व के प्रसार में आचार्य द्विवेदी के योगदान को सराहा. साथ ही उन्होंने जन-संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी के प्रसार पर बल दिया.


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कौन थे आचार्य द्विवेदी


आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्‍म 19 अगस्त 1907 में बालिया जिले के 'दुबे का छपरा' नामक ग्राम में हुआ था. इनकी शिक्षा का प्रारम्‍भ संस्‍कृत से हुई. इण्‍टर की परीक्षा उत्‍तीर्ण करने के बाद इन्‍होंने काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (जो आज हम बनरस हिन्‍दू विश्‍वाविद्यालय के नाम से जानते है.) से ज्‍योतिष व साहित्‍य में आचार्य की उपधि प्राप्‍त की. सन् 1940 ई. में हिन्‍दी एवं संस्‍कृत के आध्‍यापक के रूप में शान्ति-निकेतन चले गये. यहीं इन्‍हें विश्‍वकवि रवीन्‍द्रनााथ टैगोर का सान्निध्‍य मिला और साहित्‍य-सृजन की ओर लग गये.


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