विवादों में रहीं पूर्व IAS पूजा खेडकर ने अपने निलंबन को चुनौती दी है. उन्होंने कोर्ट में कहा कि यूपीएससी के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति नहीं है. यूपीएससी की चार्जशीट पर पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि एक बार नियुक्ती होने के बाद यूपीएससी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने की शक्ति खो देता है.


पूजा खेडकर ने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) अकेले ही एक्शन ले सकता है. उन्होंने कहा कि डीओपीटी सीएसई 2022 नियमों के नियम 19 के अनुसार अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1954 और प्रोबेशनर नियमों के तहत कार्रवाई कर सकता है.


बता दें कि 31 जुलाई को यूपीएससी ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी को समाप्त कर दिया था. इसके साथ ही, यूपीएससी ने भविष्य में किसी भी परीक्षा में उनके शामिल होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. पूजा खेडकर को पावर के गलत इस्तेमाल और फर्जीवाड़े के आरोप में शामिल पाए जाने के बाद यूपीएससी ने ये कार्रवाई की थी.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने जवाब में पूजा खेडकर ने कोर्ट में दावा किया कि उन्होंने यूपीएससी में न तो अपने नाम के साथ कोई हेरफेर किया और न ही उसे गलत तरीके से दर्शाया. आरोप है कि पूजा खेडकर ने अपने नाम, माता-पिता का नाम और ईमेल जैसी अन्य जानकारियों में फर्जीवाड़ा किया.


पूजा खेडकर ने कोर्ट में कहा, "2019, 2021 और 2022 में पर्सनालिटी टेस्ट के दौरान यूपीएसरी ने मेरी पहचान को बायोमेट्रिक डाटा के लिए जरिए वेरिफाई किया. सभी दस्तावाजों को आयोग द्वारा 26 मई 2022 को पर्सनालिटी टेस्ट के दौरान वेरिफाई किया गया."


गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 21 अगस्त तक रोक लगा थी. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से साफ इनकार कर दिया था. पूजा खेडकर पर ओबीसी आरक्षण और दिव्यांगता कोटे का सहारा लेकर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने का आरोप है. आरोप है कि उन्होंने इस संबंध में सभी कागजात भी फर्जी तरीके से बनवाए थे. दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर पर धोखाधड़ी से सिविल सेवा परीक्षा पास करने के आरोप में केस दर्ज किया.


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