QS World University Rankings 2023: दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी की लिस्ट में फिसला DU, जानिए क्या है वजह
QS World University Rankings 2023: कुलपति योगेश सिंह ने कहा, "आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका नियमित आधार पर भर्ती करना है. इस मुद्दे से निपटने के लिए हम अब हर हफ्ते लगातार साक्षात्कार आयोजित कर रहे हैं.
QS World University Rankings 2023: क्यू. एस. वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (QS World University Ranking) में इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) नीचे खिसक गया है. इसकी मुख्य वजह फैकल्टी और छात्रों के अनुपात को बताया जा रहा है, हालांकि डीयू की तरफ से इस बार की रैकिंग में दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में शामिल होने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन 2022 में सेक्शन 5.5 की तुलना इस बार सेक्शन 4.5 में पहुंच गया है.
इस लेकर कई शिक्षकों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन उस हिसाब से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं है, जबकि एक स्नातक कक्षा में 80 से 100 छात्र होते हैं. वहीं एक स्नातकोत्तर कक्षा में अक्सर 250 छात्रों के लिए एक शिक्षक होता है. दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ाने वाले राजेश झा ने कहा, "आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों के लिए विस्तार के बाद से छात्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन शिक्षकों की संख्या में उस अनुपात में बढ़ोतरी नहीं हुई."
इतनी बढ़ी छात्रों की संख्या
उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर पहले 100 छात्र थे, तो अब 175 हैं, लेकिन शिक्षकों का अनुपात केवल 125 ही है. हम अभी भी उसी पूर्व-ओबीसी विस्तार स्तर पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया, "60 प्रतिशत से अधिक फैकल्टी वर्तमान में हॉक टीचर हैं, जिनमें से कुछ एक दशक से अधिक समय से हैं. 2014-15 के बाद से नियमित पदों पर शायद ही कोई नियुक्ति हुई है. वहीं डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया कि इसका समाधान शिक्षकों की भर्ती को बढ़ाना था और विश्वविद्यालय पहले से ही इस पर काम कर रहा था.
कुछ सालों में रैंकिंग में होगा सुधार: कुलपति
कुलपति योगेश सिंह ने कहा, "आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका नियमित आधार पर भर्ती करना है. इस मुद्दे से निपटने के लिए हम अब हर हफ्ते लगातार साक्षात्कार आयोजित कर रहे हैं. हम अपनी कमजोरियों को जानते हैं और उस पर काम कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार की प्रक्रिया में समय लगेगा. यह एक धीमी प्रक्रिया है और परिणाम दिखने में भी समय लगेगा, हालांकि निश्चित तौर पर कुछ सालों में हमारी रैंकिंग में सुधार होगा.
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