Qutub Minar News: कुतुब मीनार परिसर में रखी मूर्तियों की पूजा करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी. दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई को लेकर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने कहा है कि उन्हें इस मामले में पार्टी बनाया जाए. उनका दावा है कुतुब मीनार जिस जमीन पर बना है, वह उनके परिवार की है इसलिए कुतुब मीनार के आसपास की जमीन पर निर्णय लेने का अधिकार सरकार के पास नहीं है. वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इन याचिकाओं का विरोध कर रहा है. 


क्या है और कब बना कुतुब मीनार?
कुतुब मीनार देश की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. कुतुब मीनार भारत का सबसे ऊंचा पत्थरों का स्तंभ है. कुतुब मीनार इसके आसपास स्थित कई अन्य स्मारकों से घिरा हुआ और इस पूरे परिसर को कुतुब मीनार परिसर कहते है


साउथ दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार की ऊंचाई - करीब 238 फीट है.  वहीं इसमें 379 सीढ़ियां हैं. स्तंभ की ऊंचाई का डायमीटर, 9 फीट है तो वहीं उसका बेस 46.9 फीट डायमीटर का है. इसका निर्माण साल 1199 से साल 1220 के दौरान कराया गया. साल 1993 में कुतुब मीनार को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला


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कुतुब मीनार को बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन-ऐबक ने की थी और उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा कराया था. कुतुबुद्दीन ऐबक पृथ्वीराज चौहान को हराने वाले मोहम्मद गोरी का पसंदीदा गुलाम और सेनापति था. गोरी ऐबक को दिल्ली और अजमेर का शासन सौंपकर वापस लौट गया था. साल 1206 में गोरी की मौत के बाद ऐबक आजाद शासक बन गया और उसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की.


कुतुब मीनार को कब-कब नुकसान व मरम्मत


-14वीं और 15वीं सदी में कुतुब मीनार को बिजली गिरने और भूकंप से नुकसान पहुंचा था


-पहले इसकी शीर्ष दो मंजिलों की फिरोज शाह तुगलक ने मरम्मत करवाई थी


-1505 में सिकंदर लोदी ने बड़े पैमाने पर इसकी मरम्मत कराई थी और इसकी ऊपरी दो मंजिलों का विस्तार किया था


-1803 में आए एक भूकंप से कुतुब मीनार को फिर से नुकसान पहुंचा


-1814 में इसके प्रभावित हिस्सों को ब्रिटिश-इंडियन आर्मी के मेजर रॉबर्ट स्मिथ ने रिपेयर कराया था


कुतुब मीनार को लेकर पहले कब-कब हो चुका है विवाद


-कुतुब मीनार अपने मूल और इसके वास्तविक निर्माता को लेकर कई बार विवादों में रहा है.


-अप्रैल 2022 में नेशनल म्यूजियम अथॉरिटी यानी NMA ने ASI को कुतुब कॉम्प्लेक्स से गणेश जी की दो मूर्तियों को हटाने और नेशनल म्यूजियम में उनके लिए सम्मानजनक जगह खोजने के लिए कहा था


-इसके बाद यह विवाद अदालत तक भी पहुंच गया. दिल्ली की एक कोर्ट ने आदेश दिया कि कोई कार्रवाई नहीं की जाए और मामले की सुनवाई तक कॉम्प्लेक्स से मूर्तियां नहीं हटाई जाएं


-इस वर्ल्ड हेरिटेज साइट को लेकर यह एकमात्र विवाद नहीं है. विश्व हिंदू परिषद (VHP) भी इस विवाद में कूद चुका है


-वीएचपी का दावा है कि 73 मीटर ऊंचा स्ट्रक्चर विष्णु स्तंभ था. उन्होंने दावा किया कि इसके कुछ हिस्सों को बाद में मुस्लिम शासकों ने बनवाया था


-VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने दावा किया कि ऐतिहासिक स्ट्रक्चर हिंदू शासक के समय में भगवान विष्णु के मंदिर पर बनाया गया था


-बंसल ने दावा किया कि जब मुस्लिम शासक यहां पर आए तो उन्होंने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर इसके कुछ हिस्सों का पुनर्निर्माण कराया. साथ ही इसका नाम बदलकर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि जबकि यह वास्तव में विष्णु मंदिर पर बना विष्णु स्तंभ था वीएचपी ने दावा किया कि मुस्लिम शासकों ने इसका निर्माण नहीं कराया बल्कि इसे हिंदू शासकों ने बनवाया था


-यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने भी एक याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया था कि कुतुब मीनार स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को हिंदू और जैन धर्म के 27 मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. 


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