Qutub Minar Row: कुतुब मीनार परिसर से जुड़ी कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद की एक अर्जी को दिल्ली की साकेत कोर्ट (Delhi Saket Court) ने खारिज कर दिया है. 19 अक्टूबर से कोर्ट आगे सुनवाई शुरू करेगा कि क्या पूजा अर्चना का अधिकार मांगने वाली हिंदू पक्षकारों की अर्जी सुनवाई लायक है या नहीं. महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने कुतुब मीनार की जमीन को पारिवारिक जमीन बताया है. उन्होंने खुद को पक्षकार बनाने की मांग की थी. इससे पहले महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह के वकील 24 अगस्त को हुई सुनवाई में अदालत नहीं पहुंचे थे.


कुतुब मीनार परिसर पर मालिकाना हक की अर्जी खारिज


महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह का दावा है कि आगरा से मेरठ तक की जमीन पुश्तैनी है. इसलिए कुतुब मीनार के आसपास की जमीन पर निर्णय लेने का अधिकार सरकार के पास नहीं है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) याचिकाओं का विरोध कर रहा है. कुतुब मीनार को 1993 में यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. वर्तमान में कुतुब मीनार परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है. एएसआई का सवाल है कि पिछले 150 साल से कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद ने कुछ क्यों नहीं कहा.


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कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद ने की थी पार्टी बनाए जाने की मांग  


कुतुब मीनार परिसर में रखी मूर्तियों की पूजा का अधिकार मांगने पर एएसआई ने उपासना स्थल से इंकार किया है. उसका कहना है कि स्मारक की मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता. एएसआई का तर्क है कि केंद्र संरक्षित स्मारक में उपासना के मौलिक अधिकार का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति की दलील से सहमत नहीं हुआ जा सकता. इसलिए परिसर में पूजा नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कुतुब मीनार परिसर से जुड़े केस में कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद को पक्षकार बनाए जाने की मांग को खारिज कर दिया. एएसआई ने कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद की अर्जी को खारिज करने की गुहार लगाई थी. 


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