आम आदमी पार्टी और मंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद राजकुमार आनंद ने इस्तीफे वाली चिट्ठी शेयर की है. उन्होंने ये चिट्ठी दिल्ली के सीएम अरविंद कजेरीवाल को लिखी है. अपनी चिट्ठी में उन्होंने सरकार और पार्टी का साथ छोड़ने के पीछे की दो वजह का जिक्र किया है. बता दें कि 10 अप्रैल को राजकुमार आनंद ने मंत्री पद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
अपनी चिट्ठी में उन्होंने लिखा, "मैं राजकुमार आनंद, समाज कल्याण मंत्री दिल्ली सरकार अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूँ. इसकी दो वजहें हैं. पहली वजह यह है कि मैं राजनीति में आया ही था आपकी इस बात से प्रभावित हो कर कि 'राजनीति बदलेगी तो देश बदलेगा' लेकिन आज बहुत अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि राजनीति तो नहीं बदली लेकिन आप और आपकी पार्टी बदल गयी."
पूर्व मंत्री ने कहा, "आम आदमी पार्टी का जन्म ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन से हुआ है लेकिन आज यह पार्टी खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुकी है. हमारे दो-दो मंत्री जेल में हैं, हमारे मुख्मंत्री जेल में हैं. हमारी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. मैं नहीं समझता कि हमारे पास सरकार में रहने का अब कोई नैतिक बल रह गया है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "मैं समझता हूँ कि सबसे बड़ा छल हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं और दिल्ली की जनता के साथ हुआ है जिन्होंने बड़ी उम्मीद के साथ आम आदमी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाया ताकि दिल्ली से भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके लेकिन सत्ता में आने के बाद यह पार्टी भी भ्रष्टाचार से खुद को बचा नहीं सकी."
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, "आज आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता बस भरने की मशीन बन कर रह गया है. भ्रष्टाचार बड़े-बड़े नेता करें और हमारी पार्टी का एक आम कार्यकर्ता धूप, बारिश, सर्दी और गर्मी की चिंता किये बगैर बस में बैठकर, तख्ती लेकर प्रोटेस्ट में शामिल हो जाता है. ये ठीक नहीं है. मेरे लिए मंत्री पद पर रहकर इस सरकार में काम करना असहज हो गया है. मैं अब इस सरकार और इनके भ्रष्टाचार के साथ अपना नाम नहीं जोड़ना चाहता."
राजकुमार आनंद ने अपनी चिट्ठी में आगे कहा, "मंत्री पद छोड़ने की दूसरी वजह यह है कि चार साल इस पार्टी और सरकार में काम करने के बाद मैंने ये समझा है कि यह पार्टी और यह सरकार दलित, आरक्षण और बाबासाहेब के विचारों की विरोधी है. आज मैं जो कुछ भी हूँ. बाबासाहेब की वजह से हूँ. अलीगढ़ के ताले की फैक्ट्री में बाल मजदूरी की, ट्यूशन पढ़ा कर शिक्षा ग्रहण की, व्यवसाय किया, सामाजिक कार्य किए, राजनीति में आया, विधायक बना, मंत्री बना. यह सब कुछ कर पाया तो सिर्फ और सिर्फ बाबसाहेब की वजह से. बाबा साहेब ने हमें Payback to Society का जीवन सूत्र दिया है."
इस्तीफे वाली चिट्ठी में उन्होंने कहा, "राजनीति में आने का मेरा उद्देश्य धन कमाना या सता पाना नहीं है. मैं यहाँ आया ताकि Payback to Society को सच्चे अर्थों में साकार कर सकूँ. इसी उद्देश्य के साथ मैं आपके साथ खड़ा हुआ क्योंकि आप बाबासाहेब के आदर्शों पर चलने का दावा करते थे. आपका हर प्रेस कॉन्फ्रेंस बाबासाहेब की तस्वीर के साथ ही होता है. लेकिन सच्चाई कुछ और है. पिछले चार सालों में मैंने ये अनुभव किया कि आप और आपकी पार्टी बाबासाहेब और उनके विचारों के खिलाफ है. जो न सिर्फ आरक्षण विरोधी है बल्कि दलित विरोधी भी है."
दिल्ली सरकार ने विधानसभाओं और मंत्रालयों में बड़ी तादाद में फेलो की भर्ती की. जिनकी सैलरी लाखों में थी. बाबासाहेब की बात करने वाली आपकी सरकार ने इसमें आरक्षण लागू करने की जरूरत नहीं समझी. SC-ST के वेलफेयर के लिए जो पैसे आते हैं, बाबसाहेब की बात करने वाली आपकी सरकार उसे किसी और योजना में खर्च करने से हिचकती नहीं है. इस पार्टी में दलित पार्षद, विधायक और मंत्री का कोई सम्मान नहीं हैं. पार्टी के अग्रणी नेताओं में कोई दलित नहीं है. इस पार्टी से एक भी दलित राज्यसभा मेम्बर नहीं है. एक भी दलित विधायक किसी प्रदेश का प्रभारी नहीं है. दिल्ली की किसी भी मंडी में कोई दलित चेयरमैन नहीं है. दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में एक भी चेयरमैन दलित नहीं है. मेरे लिए एक दलित आइडेंटिटी के साथ इस सरकार में रहना बहुत मुश्किल है. इसलिए मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं."
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