Delhi News: दिल्ली सरकार की शक्तियों को लेकर उपराज्यपाल और आप सरकार के बीच जारी गतिरोध के बीच केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का आम आदमी पार्टी कड़ा विरोध कर रही है. दिल्ली के सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इसे दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियां छीनने वाला अध्यादेश बता चुके हैं. वहीं अब आम आदमी पार्टी इस अध्यादेश की जगह लेने के लिए राज्यसभा में विधेयक पेश करने का कड़ा विरोध कर रही है. वहीं इस संबंध में आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें राघव चड्ढा ने कहा कि ये अध्यादेश चुनी हुई सरकार से उसका संवैधानिक अधिकार छीनता है. यह नाजायज, अनुचित और अस्वीकार्य है.


राघव चड्ढा ने इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत बताया. उन्होंने कहा कि इसलिए इस अध्यादेश को सदन में पेश नहीं किया जाना चाहिए. अपने पत्र में राघव चड्ढा ने कहा है कि, '11 मई 2023 को, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से माना कि संवैधानिक आवश्यकता के रूप में, दिल्ली की एनसीटी सरकार में सेवारत सिविल सेवक सरकार की निर्वाचित शाखा, यानी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में निर्वाचित मंत्रिपरिषद के प्रति जवाबदेह हैं. जवाबदेही की यह कड़ी सरकार के लोकतांत्रिक और लोकप्रिय रूप से जवाबदेह मॉडल के लिए महत्वपूर्ण मानी गई थी.' आप सांसद ने आगे कहा कि, एक ही झटके में अध्यादेश ने दिल्ली की विधिवत निर्वाचित सरकार से इस नियंत्रण को फिर से छीन लिया और इसे अनिर्वाचित एलजी के हाथों में सौंपकर इस मॉडल को रद्द कर दिया.


राघव चड्ढा ने अध्यादेश के असंवैधानिक होने के गिनाए कारण


इसके साथ ही आम आदमी पार्टी सांसद राघव चड्ढा ने इस अध्यादेश के असंवैधानिक होने को लेकर तीन कारण भी बताए. जिसमें उन्होंने पहला कारण बताया कि केंद्र का अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के के निर्णय के खिलाफ है. साथ ही दूसरा ये कि यह अध्यादेश संविधान के अनुच्छेद 239AA की धज्जियां उड़ाता है. उन्होंने तीसरा कारण बताया कि इस अध्यादेश को लेकर एक केस सुप्रीम कोर्ट में अभी विचाराधीन है. इस मसले को संविधान पीठ को विचार के लिए सौंप दिया गया है. आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसने 20 जुलाई 2023 के अपने आदेश के जरिए इस सवाल को संविधान पीठ को भेजा है.


इसके साथ ही ये सवाल किया है कि, क्या संसद का एक अधिनियम (और सिर्फ एक अध्यादेश नहीं) अनुच्छेद 239AA की मूल आवश्यकताओं का उल्लंघन कर सकता है. आप सांसद ने राज्यसभा के सभापति से इस विधेयक को पेश होने से रोकने और संविधान की रक्षा के लिए सही निर्देश देने की अपील की है. साथ ही दिल्ली में लोकतांत्रिक शासन के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए सरकार को इसे वापस लेने का निर्देश देने का आग्रह किया है.



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