Swami Jitendranand Saraswati On Ramcharitmanas: रामचरितमानस को लेकर विवादित टिप्पणी और प्रतियां फाड़ने के बाद विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. समाजवादी पार्टी (SP) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) पर एक के बाद एफआईआर दर्ज कर संतों की ओर से बड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है. इसके अलावा प्रतियां फाड़ने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है. दिल्ली पहुंचे अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इस मामले को लेकर कहा कि सनातन संस्कृति के बढ़ते प्रभाव की वजह से इस्लामिक संगठन, ईसाई मिशनरी और अन्य भारत विरोधी ताकतें बौखला चुकी हैं.


इस्लाम धर्म और ईसाई समुदाय के पवित्र ग्रंथों को चुनौती देते हुए स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, "उनके धर्म ग्रंथ की सच्चाई को सामने रखने की चुनौती देता हूं और साथ ही गोस्वामी तुलसीदास की लिखित रामचरितमानस के प्रत्येक चौपाई की भी प्रमाणिकता सबके सामने रखूंगा कि कहीं से भी रामचरितमानस में ऊंच-नीच जाति का वर्णन नहीं किया गया है, बल्कि एक समाज और परिवार को एक डोर में बांधने की अच्छी जीवन शैली का वर्णन किया गया है.


धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रभाव से बौखलाए टुकड़े-टुकड़े गैंग


बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चर्चा करते हुए स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, "27 साल के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्वतंत्रता पूर्वक सनातन संस्कृति में लोगों की वापसी कराई, जिसके बाद वह टुकड़े-टुकड़े गैंग, वामपंथ विचारधारा वाले और इस्लामिक संगठनों के निशाने पर आ गए हैं, जिसका प्रमाण है कि उन्हें लगातार बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. यह बताता है कि पूरी सुनियोजित साजिश के तहत ये सनातन संस्कृति के धर्म ग्रंथ साधु-संतों को अपमान करने में हमेशा तत्पर रहते हैं."


भारत को तोड़ने की रची जा रही साजिश- जितेंद्रानंद सरस्वती


स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने दावा किया कि अमेरिका के एक उद्योगपति जॉर्ज सोरोस भारत में वामपंथ को टूल किट जैसे फंडिंग मुहैया करा रहे हैं, जिसके माध्यम से भारत को जातियों में विभाजित किया जा सके. भारत में आर्थिक अस्थिरता लाकर देश के विकास रथ को रोका जा सके और भारत की सीमा सुरक्षा को कमजोर किया जा सके.


स्वामी प्रसाद मौर्य को संत की चेतावनी


रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान पर स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, "ऐसे नेता रामचरितमनस को पढ़ने की भी क्षमता नहीं रखते, कुछ दोहे पढ़कर यह बिना सोचे समझे सनातन संस्कृति को लेकर विवाद उत्पन्न करने की फिराक में बैठे रहते हैं. यूपी सरकार की ओर से अपनी भारी दुर्गति के लिए ये तैयार रहें और अखिलेश यादव की तरफ से सपा का इन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के पीछे भी एक साजिश है, जिसके माध्यम से इनकी बची छवि को प्रभावित किया जाएगा. इससे ये किसी भी दूसरे दल से दुबारा न जुड़ सके."


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