Delhi News: दिल्ली के सदर बाजार इलाके में शाही ईदगाह के पास डीडीए की जमीन पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. मूर्ति लगाने का काम फिलहाल रोक दिया गया है और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. वहीं मामले को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है.


आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी को घेरा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी देशभक्तों का अपमान कर रही है. रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा हटाकर देशद्रोह किया जा रहा है.


 संजय सिंह ने दावा किया कि मूर्ति RSS के दफ्तर से मात्र 2 सौ मीटर दूर है, इसलिए यहां से हटाया जा रहा है. BJP और RSS ने इसका खंडन किया है. मामले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वहां लक्ष्मीबाई की नहीं तो क्या औरंगजेब की मूर्ति लगेगी. 


क्या है पूरा मामला? 
दरअसल झंडेवालान चौक पर अभी रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगी हुई है. झंडेवालान से पहाड़गंज तक ट्रैफिक रेड लाइट फ्री होनी है. इस वजह से मूर्ति को झंडेवालान चौक से मोतिया खान शिफ्ट करना है. मूर्ति शिफ्ट करने के लिए DDA ने जमीन दी है. जिसपर शाही ईदगाह कमेटी का दावा है वो वक्फ बोर्ड की जमीन है. 






मामले पर हाई कोर्ट का क्या है फैसला?
शाही ईदगाह कमेटी की तरफ से हाई कोर्ट में मोतिया खान में मूर्ति नहीं लगाने को लेकर याचिका दाखिल की थी. जिसमें कहा गया था कि वो जगह वक्फ की संपत्ति है लिहाजा वहां कोई मूर्ति न लगाई जाए. वहीं हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की तरफ से लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया.


हाई कोर्ट ने कहा कि वो (रानी लक्ष्मीबाई) एक नेशनल हीरो हैं, उसको धार्मिक रूप नहीं देना चाहिए. सभी धार्मिक सीमाओं के परे वह एक नेशनल हीरो हैं.


कोर्ट की फटकार के बाद वापस ली याचिका
हाईकोर्ट की फटकार के बाद शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की तरफ से याचिकाकर्ता ने बिना किसी शर्त के माफी मांगते हुए अपनी याचिका वापस लेने की बात कही. कोर्ट ने इसके लिए कमेटी को माफीनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया. 


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