Delhi News Today: दिल्ली में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा शाही ईदगाह के पास स्थित पार्क में स्थापित करने को लेकर कई दिनों से विवाद जारी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मैनेजिंग कमेटी को उसकी अपील में इस्तेमाल शब्दों को लेकर कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने उनके वकील को इसके लिए अदालत से लिखित में माफी मांगने का निर्देश दिए हैं. 


हाईकोर्ट के मुताबिक, जहां रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा लगनी है, वो डीडीए की जमीन है और उस जमीन का शाही ईदगाह से कोई लेना देना नहीं है. बीते तीन दिनों से एमसीडी ने डीडीए की तरफ से प्रतिमा लगाने के लिए आवंटित जमीन पर काम शुरू कर दिया है. 


आज यानी शनिवार (28 सितंबर) को भी सुबह से ही एमसीडी की तरफ से युद्ध स्तर पर काम जारी रखा है. फिलहाल रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा की स्थापना के लिए जो जगह दी गई है, उस जगह पर बाउंड्री का निर्माण किया जा रहा है. 


2008 में स्थापित की गई थी प्रतिमा
मौजूदा समय में यह प्रतिमा रानी झांसी फ्लाईओवर के पास गोल चक्कर पर लगी है. इस प्रतिमा को रानी झांसी लक्ष्मीबाई स्मारक समिति ने साल 2008 में एमसीडी के अनुमति और सहयोग से लगवाया था. 


इसके बाद पहाड़गंज इलाके में रानी झांसी फ्लाई ओवर का निर्माण एमसीडी ने केंद्र से मिले फंड से किया. जिसको 2018 में तकरीबन पूरा कर लिया गया और उसी साल फ्लाईओवर को जनता के लिए खोल दिया गया.


साल 2018 में स्टैंडिंग कमेटी की चेयरमैन वीना विरमानी थीं. वीना विरमानी ने एबीपी न्यूज को बताया कि साल 2018 में ही यह नोटिस किया गया कि फ्लाई ओवर बनने के बाद काफी हद तक ट्रैफिक की समस्या दूर हो गई है, लेकिन यहां पर कई जगह अभी भी यातायात ठीक नहीं है.


प्रतिमा को स्थानांतरित करने की वजह?
वीना विरमानी ने बताया कि इसके बाद यातायात को बेहतर करने के लिए यूटीटीआईपीईसी, पीडब्ल्यूडी और यातायात विभाग की बैठक हुई. जिसमें दो सुझाव दिए गए- शार्ट टर्म यातायात व्यवस्था और लांग टर्म यातायात व्यवस्था. 


उन्होंने बताया कि इसमें पीडब्लूडी की तरफ से सुझाव दिया गया था कि इस रोड पर तीन गोल चक्कर हैं, जिसकी वजह से ट्रैफिक ज्यादा होता है और अगर इसे हटा दिया जाए तो ट्रैफिक सामान्य हो सकता है. 


स्टैंडिंग कमेटी की पूर्व चेयरमैन वीना विरमानी के मुताबिक, एक गोल चक्कर पर रानी झांसी की प्रतिमा लगी है, जिसको दूसरी जगह स्थापित करने की बात उठी. लांग टर्म योजना के तहत यूटीटीआईपीईसी की बैठक में पीडब्ल्यूडी, डीडीए, यातायात और एमसीडी अधिकारी उपस्थित रहे. 


उन्होंने बताया कि साल 2019 में रानी झांसी की प्रतिमा को वर्तमान स्थान से स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए एमसीडी ने डीडीए से जगह देने का अनुरोध किया. डीडीए ने रानी झांसी की प्रतिमा स्थानांतरित करने के लिए पार्क (ईदगाह) के एक कोने में जमीन आवंटित करने को मंजूरी दे दी.


हाईकोर्ट ने क्या कहा?
डीडीए के पार्क में वक्फ बोर्ड ने अपना मालिकाना हक जताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसकी वजह से 19 सितंबर तक हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था और मालिकाना हक जताने पर दोनों को समय दिया गया था. बुधवार को इस मामले में हाईकोर्ट ने डीडीए के पक्ष में फैसला दिया. 


एमसीडी ने शुरू किया काम
इस प्रतिमा के स्थापना की जिम्मेदारी एमसीडी के पास है. इसलिए एमसीडी ने कोर्ट के आदेश के बाद डीडीए के जरिये आवंटित जगह पर बाउंड्री बनाना शुरू कर दिया है. एमसीडी अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, एमसीडी का काम बाउंड्री निर्माण का है, लेकिन उस जगह प्रतिमा लगाने के लिए प्लेटफार्म बनाने का काम डीडीए को करना है. 


ये समिति करती है देखरेख
रानी झांसी लक्ष्मीबाई स्मारक समिति के सदस्य गुलशन राय विरमानी ने बताया कि साल 2008 में हमारी समिति ने कड़े संघर्ष के बाद प्रतिमा लगवाई थी. इसको दूसरी जगह स्थापित करने को लेकर विवाद हो रहा है. समिति का काम प्रतिमा की देख रेख का भी है और जब प्रतिमा दूसरी जगह स्थपित की जानी है तो एमसीडी और डीडीए के सहयोग से समिति इस कार्य को करवाएगी. 


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