दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधूरी आवासीय परियोजनाओं के चलते बैंकों और वित्तीय कंपनियों को इनके खरीदारों से ईएमआई नहीं चुका पाने पर कड़ी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने हाल के एक अदालत के आदेश में इन खरीदारों की याचिका से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. इन सभी ने उन परियोजनाओं में निवेश किया था, जहां उन्हें कब्जा मिलने तक बिल्डरों को ईएमआई का भुगतान करना था, लेकिन उन्होंने भुगतान बीच में ही रोक दिया था.


उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय रिजर्व बैंक और राष्ट्रीय आवास बैंक की सलाह पर ध्यान दिए बिना ऋण वितरित किए गए थे. न्यायाधीश ने कहा, इस अंतरिम चरण में मामला इन संकटग्रस्त घर खरीदारों के पक्ष में है और सभी को पता है कि उनकी कोई गलती नहीं है फिर भी उन्हें दंडित किया जा रहा है.अदालत ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम संरक्षण नहीं दिया गया तो उन्हें गंभीर और अपूरणीय क्षति होगी. याचिकाकर्ताओं की वकील एडवोकेट आदित्या परोलिया ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने शुरुआती अग्रिम किश्त देकर अपने फ्लैट बुक करा लिए थे.


उन्होंने तर्क दिया कि इस तथ्य के बावजूद कि कोई भी परियोजना पूरी नहीं हुई थी या बिल्डर्स दिवालिया हो गए थे, घर खरीदारों को अब ईएमआई का भुगतान करने के लिए कहा जा रहा था. घर खरीदार अभी भी अपने सपनों के घर के कब्जे की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने परियोजनाओं की वास्तविक स्थिति को जाने बगैर बिल्डरों को एक ही बार में ऋण वितरित कर दिया था. इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई, जहां बैंक घर खरीदारों से ईएमआई के भुगतान की मांग कर रहे हैं जबकि बिल्डरों ने कब्जे तक इस दायित्व का निर्वहन करने का वचन दिया था.


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