Republic Day 2022: 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया था हमारा संविधान, जानिए पूरा इतिहास
72वां गणतंत्र दिवस में कुछ दिन बाकी रह गए हैं. ऐसे में इस राष्ट्रीय पर्व की तैयारी शुरू हो गई है. हर साल की तरह इस बार कोरोना महामारी के कारण राजपथ पथ पर इसके आयोजन के लेकर कई सावधानिय बरती जा रही है.
Delhi: हम भारतवासी हर साल पूरे जोश के साथ 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं और इस साल देश हम देशवासी अपना 72वां गणतंत्र दिवस मनायेंगे. जिसमें बस कुछ ही दिन बाकी हैं. 26 जनवरी के ही दिन भारत एक संप्रभु गणराज्य (Sovereign Republic) बन गया था. भारत ने अंग्रेजो से 1947 में आजादी हासिल कर ली, लेकिन 26 जनवरी 1950 तक संविधान लागू नहीं हुआ था.
संविधान लागू होने के बाद भारत एक आजाद और संप्रभु गणराज्य बन गया. यह दिन हम भारतवासी बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ, धार्मिक भेदभाव से परे होकर एक राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाते हैं. पूरे देश में इस दिन स्कूल, कॉलेज, गवर्नमेंट ऑफिस से लेकर आम जगहों पर तिरंगा फहराया जाता है.
इस खास मौके पर हर साल इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक राजपथ पर भव्य परेड भी होती है. इस परेड में भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना आदि की विभिन्न रेजिमेंट हिस्सा लेती हैं.
26 जनवरी को ही क्यों कानून लागू किया गया संविधान
दरअसल, 26 जनवरी को इसलिए चुना गया क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की पूरी तरह से आजादी की घोषणा की थी. इसके ऐतिहसिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो 1929 को पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में इंडियन नेशनल कांग्रेस के जरिये एक सभा का आयोजन किया गया था. जिसमें आम सहमति से इस बात एलान किया गया अंग्रेजी सरकार, भारत को 26 जनवरी 1930 तक डोमिनियन स्टेटस (Dominion Status) का दर्जा दे. जिसके बाद भारत ब्रिटिश साम्राज्य के तहत एक स्वायत्त राज्य का दर्जा मिलते ही, देश अपने आपको पूरी तरह स्वतंत्र घोषित कर देगा.
भारत की आजादी के बाद, संविधान सभा की घोषणा की गई और इसने 9 दिसंबर 1947 को अपना काम शुरू कर दिया. भारत के संविधान को संविधान सभा के जरिये 2 साल 11 महीने और 18 दिनों में तैयार किया गया था और भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप दिया गया था. इसलिए हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
गौरतलब हो कि भारतीय संविधान का मसौदा डॉ. भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने तैयार किया था जिन्हें भारतीय संविधान के वास्तुकार (Architect) के रूप में जाना जाता है. कई सुधारों और बदलावों के बाद कमेटी के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 हाथ से लिखे कानून की दो कापियों पर हस्ताक्षर किये, जिसके दो दिनों बाद 26 जनवरी को यह देश में लागू कर दिया गया. 26 जनवरी के महत्व को बनाए रखने के लिए उसी दिन भारत को एक लोकतांत्रिक पहचान दी गई थी.
26 जनवरी मानाने की यह है वजह
भारत को 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली, जबकि 26 जनवरी 1950 संविधान लागू होने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक देश बन गया. संविधान के लागू होने के बाद पहले से चले आरहे अंग्रेजों का कानून Government of India Act (1935) को भारतीय संविधान के जरिये भारतीय शासन दस्तावेज के रूप में बदल दिया गया. इसीलिए हर साल हम भारतवासी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस (Republic डे) के रूप में मनाया जाता है. "दा वायर" में छपे एक लेख के मुताबिक भारत 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बज कर 18 मिनट पर एक गणतंत्र राष्ट्र बना. उसके ठीक 6 मिनट बाद 10 बज कर 24 मिनट पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद नें भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. इस दिन पहली बार डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति के रूप में बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से बाहर निकले थे, जहां उन्होंने पहली बार सेना की सलामी ली थी और पहली बार उन्हें Guard of Honour दिया गया था
इस दिन हम भारतवासी तिरंगा फहराने, राष्ट्रगान का पाठ करने करने के साथ-साथ गली चौराहों, स्कूल, कॉलेज जैसे कई जगहों पर शो और कार्यक्रमों के आयोजन किया जाता है. इसके अलावा, भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों सहित रक्षा बल अपने कौशल, पराक्रम और शक्ति का प्रदर्शन करती है और राजपथ पर परेड में भारत की रक्षा कौशल का प्रदर्शन करते हैं. जिसका सीधा प्रसारण टेलीविजन पर किया जाता है. स्टंट करने के अलावा, एयर शो, मोटरबाइक पर स्टंट, टैंक और अन्य हथियारों को भी भारतीय जनमानस के सामने दिखाया किया जाता है. इनके साथ ही खूबसूरती से सजाई गई झांकियां हैं जो भारत के विभिन्न राज्यों की विशेषता सुंदरता और सांस्कृतिक परम्पराओं को दर्शाती हैं.
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