आखिर किसका नतीजा था देश का विभाजन? संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कही ये बात
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि विभाजन से भारत भी खुश नहीं है और न ही इस्लाम के नाम पर जिन्होंने इसकी मांग की थी, वे खुश हैं.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि विभाजन कोई समाधान नहीं था. न तो भारत इससे खुश है और न ही इस्लाम के नाम पर इसकी मांग करने वाले खुश हैं. उन्होंने कहा कि खून की नदियां न बहें इसलिए ये प्रस्ताव स्वीकार किया गया. अगर प्रस्ताव को नहीं स्वीकार करते जो जितना खून बहता उससे कई गुना खून उस समय बहा और आज तक बह रहा है. एक तो बात साफ है कि विभाजन का उपाय, उपाय नहीं था. नोएडा में एक किताब के विमोचन के मौके पर उन्होंने ये बात कही.
मोहन भागवत ने कहा, "न उससे भारत सुखी है और न वो सुखी हैं जिन्होंने उस समय इस्लाम के नाम पर विभाजन की मांग की. क्योंकि ऐसे सुख हो ही नहीं सकता. विभाजन की उत्पति किस मानसिकता में है कि हम तुम्हारे साथ रह ही नहीं सकते. क्यों, क्योंकि तुम अलग हो. इसलिए तुम्हारे साथ हमारा अलगाव है, एकता नहीं है."
#WATCH | Partition was no solution. Neither India is happy with it, nor those who demanded it in the name of Islam: RSS chief Mohan Bhagwat at a book launch event in Noida
— ANI UP (@ANINewsUP) November 25, 2021
(Video: RSS) pic.twitter.com/fxIfsm4err
संघ प्रमुख ने आगे कहा, "भारत नाम की प्रवृति क्या कहती है, वो ये कहती है कि तुम अलग हो इसलिए तुमको अलग होने की आवश्यकता नहीं है. जितना तुम्हारा अलगाव है वो ठीक है उसे तुम अपने पास रखो. मेरी विशिष्टता है वो मेरे पास सुरक्षित है. मैं उसका समान करता हूं, तुम्हारी विशिष्टता का सम्मान करता हूं. झगड़ा करने की बात कहां है. मिलकर चलें."
मोहन भागवत ने कहा, "विभाजन को अगर समझना है तो हमें उस समय से शुरू करना होगा. ये विभाजन उस समय की वर्तमान परिस्थिति का जितना नतीजा है उससे ज्यादा इस्लाम का आक्रमण और ब्रिटिशों का आक्रमण, दोनों का मिलकर नतीजा है. इस्लाम का आक्रमण हुआ उससे पहले भी भारत पर कई आक्रमण हुए...लूटने के लिए आए. लूट खसोटकर चले गए, कुछ बस गए. जो बस गए वो यहां के समाज में रच बस गए."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "हूण, कुषाण और यवन कहां है ये पता नहीं है. लेकिन इस्लाम का जो आक्रमण है, गुरुनानक देव जी ने सावधान किया था सबको, लोकल भाषा में जो शब्द आता है वो संतों के मुख से आता है. उन्होंने ये साफ कर दिया था कि ये आक्रमण हिंदुस्थान पर है, किसी की पूजा पर नहीं है."
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