Delhi Latest News: देवी अहिल्याबाई होलकर की जयंती के 300वें वर्ष के मौके पर दिल्ली में एक कार्यक्रम  का आयोजन किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारे देश ने 700 वर्षों तक आक्रमण झेला, लेकिन हमारी संस्कृति को कोई मिटा नहीं सका. यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. 


कृष्ण गोपाल ने आगे कहा, 'हमारा देश सातवीं शताब्दी से भयंकर संकट में आ गया था. 11वीं सदी से भयंकर आतंक का काल प्रारंभ हो गया. कोई मंदिर, कोई स्थान, माता–बहनें कोई भी सुरक्षित नहीं रहा. शायद ही कोई देश इस प्रकार 700 वर्षों तक अपने देश की संस्कृति पर हमले का सामना कर पाया हो.


 'शिवाजी महाराज से सीख लेने की जरूरत' 


उन्होंने कहा कि ऐसे में एक छोटे से स्थान से एक बालक खड़ा होता है, जिसका नाम था शिवाजी महाराज. बहुत चतुराई से उसने एक छोटा साम्राज्य स्थापित किया. 1674 में हिंदू पादशाही की स्थापना हुई. 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई. इस छोटे से काल खंड में ही उन्होंने जनमानस में गजब की प्रेरणा भर दी. जिसका नतीजा ये रहा कि उनकी मृत्यु के 26 साल बाद तक औरंगजेब उस छोटे से साम्राज्य लड़ता रहा और अंत में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ही उसकी मृत्यु हो गई.


कृष्ण गोपाल ने कहा कि इंदौर का होलकर महान हिंदवी स्वराज का एक हिस्सा था. बड़े साम्राज्य को चलाने के लिए कई केंद्र बनाए गए. उन्हीं में से एक था इंदौर. शिवाजी महाराज कि तरह ही अहिल्याबाई होलकर का उद्देश्य था नष्ट हो चुके राष्ट्र के सम्मान एवं गौरव को स्थापित करना. राज्य सैकडों हो सकते हैं पर राष्ट्र एक है. भारत राज्य नहीं, भारत एक राष्ट्र है.


अहिल्याबाई को समझ में आया कि 700 वर्षों में राष्ट्र बोध नष्ट हुआ है. स्व की भावना कम हुई है. इस राष्ट्र बोध को पुनः स्थापित करने के लिए उन्होंने अपनी निजी कोष से 200 स्थानों पर मंदिर, घाट तथा धार्मिक स्थान इत्यादि का निर्माण कराया. यह राज्य दृष्टि नहीं यह राष्ट्रीय दृष्टि है. राज्य महान राष्ट्र का एक हिस्सा है. इसलिए, उन्होंने राष्ट्र के श्रद्धा के स्थानों का पुनः निर्माण किया.


इतिहास में कोई-कोई ऐसा शासक होता है जिसके बारे में सबके पास प्रशंसा ही होती है. अहिल्याबाई ऐसी ही एक शासक थी. भारतीय नारी की प्रेरणा है जीजाबाई और इस श्रृंखला की अगली कड़ी थी अहिल्याबाई. जो दुख जीजाबाई के मन में था वही अहिल्याबाई के मन में था. जो संकल्प शिवाजी महाराज के मन में था वही अहिल्याबाई के मन में था.


कार्यक्रम के दौरान अहिल्याबाई होल्कर त्रिशती समारोह समिति दिल्ली के सचिव डॉ. अशोक त्यागी, समिति की अध्यक्षा डॉ. उपासना अरोड़ा, समिति के कार्याध्यक्ष उदय राजे होलकर सहित कई लोग मौजूद रहे.


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