Safdarjung Hospital Neurosurgeon Arrested: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI ने गुरुवार (30 मार्च) को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के एक न्यूरोसर्जन को गिरफ्तार किया है. न्यूरोसर्जन और उसके चार सहयोगियों को मरीजों को ऑपरेशन की जल्द तारीख देने के लिए अत्यधिक कीमत पर एक विशेष स्टोर से सर्जिकल उपकरण खरीदने के वास्ते मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
गिरफ्तारी के बाद हुआ नापाक सांठगांठ का भंडाफोड़
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर छापेमारी की और नापाक सांठगांठ का भंडाफोड़ किया. उन्होंने कहा कि न्यूरोसर्जन मनीष रावत को बृहस्पतिवार सुबह गिरफ्तार किया गया. गहन जांच के बाद, सीबीआई ने रावत और उसके चार विश्वासपात्रों को गिरफ्तार किया, जिनमें नयी दिल्ली में स्थित कनिष्क सर्जिकल स्टोर के मालिक दीपक खट्टर और बिचौलिए अवनेश पटेल, मनीष शर्मा और कुलदीप शामिल हैं.
रोगियों से पैसे वसूलने के लिए मिलकर डालते थे दबाव
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद रावत का गुरुवार सुबह 7. 52 बजे सफदरजंग अस्पताल में ही मेडिकल परीक्षण कराया गया. गिरफ्तार लोगों पर लगे आरोप रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से संबंधित हैं. सीबीआई ने रावत पर अस्पताल के स्थापित प्रोटोकॉल के विपरीत चिकित्सा परामर्श और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए रोगियों से पैसे भुगतान करने की मांग करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया है.
एक खास मेडिकल स्टोर से कई गुना कीमत पर खरीदवाते थे उपकरण
सीबीआई द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार, रावत की ओर से पटेल मरीजों के रिश्तेदारों से संपर्क करता था और सर्जरी के लिए जल्दी तारीख सुनिश्चित करने के लिए जंगपुरा स्थित खट्टर की दुकान से आवश्यक शल्य चिकित्सा उपकरण प्राप्त करने को कहता था. सीबीआई ने कहा कि फिर वह उनसे खट्टर के कर्मचारियों-शर्मा या कुलदीप को नकद भुगतान करने या इन कर्मचारियों के बैंक खातों से जुड़े मोबाइल नंबरों पर ऑनलाइन पैसा भेजने का अनुरोध करता था.
अवैध कमाई का पैसा बांटा सर्जन के साथ
पटेल कथित तौर पर मरीजों के परिजनों से प्राप्त धन को रावत को व्यक्तिगत रूप से नकद में देता या सर्जन के निर्देशानुसार शर्मा, कुलदीप, या खट्टर से धन प्राप्त करने के बाद इसे दूसरों को भेज देता था. सीबीआई के प्रवक्ता ने खुलासा किया कि रावत ने रोगियों को ऐसी कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया जो उपकरणों की वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक थी. उन्होंने कहा कि दुकान के मालिक ने इस मुनाफे को आरोपी सर्जन के साथ बांटा..
मरीजों से वसूले 30 हजार से लेकर 1.15 लाख तक
जांच में खुलासा हुआ है कि रावत ने अपने रोगियों को एक बिचौलिए के बैंक खाते में 30,000 रुपये से लेकर 1.15 लाख रुपये तक की रिश्वत जमा करने के निर्देश दिए. एजेंसी ने रावत पर अत्यधिक महंगे सर्जिकल उपकरणों की बिक्री से मिले अतिरिक्त धन के हेरफेर, रिश्वत के माध्यम से खुद को और अपने सह-साजिशकर्ताओं को समृद्ध करने और बरेली निवासी एक निजी व्यक्ति गणेश चंद्र द्वारा नियंत्रित विभिन्न कंपनियों के माध्यम से अवैध लाभ का शोधन किए जाने का भी आरोप लगाया है.
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