Delhi News: सफदरजंग अस्पताल में रोबोट ने की किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी, 90 प्रतिशत से कम लगा चीरा
Safdarjung Hospital: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रोबोट ने किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की है. जिसमें 90 प्रतिशत से कम चीरा लगा. जिससे मरीज को कम दर्द हुआ और 95 प्रतिशत तक ब्लड भी लॉस हुआ.
Delhi: देश-विदेश में रोगों से लड़ने के लिए नए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे लोगों को जल्द से जल्द लाभ मिल सके. इस बीच सफदरजंग अस्पताल से भी ऐसी ही खबर आई है जिसमें रोबोट द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई है. इस किडनी ट्रांसप्लांट का फायदा यह हुआ कि ब्लड लॉस 95 प्रतिशत तक कम हुआ, 90 प्रतिशत कम चीरा लगा, 90 प्रतिशत रिकवरी तेज हुई. इसके साथ ही मरीज को दर्द भी 95 प्रतिशत तक कम हुआ. इस किडनी ट्रांसप्लांट के दुसरे दिन डोनर 17 साल के बच्चा ठीक हो गया.
चौथे दिन में काम करने लगा किडनी
बता दें कि केंद्र सरकार के किसी भी अस्पताल में पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की किडनी रिमूव करने में रोबोट का इस्तेमाल हुआ है. जिसके बाद भविष्य में इसकी संभावना बढ़ गई है. इसमें ट्रांसप्लांट के दिन शाम को 17 साल का बच्चा अपने पैरों पर खड़ा हो गया और अगले दिन चलने लगा. इसके साथ ही डोनर की किडनी चौथे दिन काम करने लगी. सफदरजंग अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के यूनिट-2 के प्रमुख और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर पवन वासुदेव ने बताया कि 17 साल का लड़के का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है. उसकी 41 साल की मां ने किडनी डोनेट की अस्पताल में कैंसर के इलाज के लिए रोबॉट आया था लेकिन धीरे-धीरे अन्य डिपार्टमेंट की एक्सपर्टीज बढ़ रही है. जब हमें लगा कि रोबॉट से ट्रांसप्लांट के लिए हमारी तैयारी पूरी हो चुकी है तब इसका इस्तेमाल किया.
90 प्रतिशत से कम लगाया गया चीरा
डॉक्टर ने बताया कि आमतौर पर किडनी निकालने के लिए 20 सेमी का चीरा लगाना होता है लेकिन रोबॉट से किडनी निकालने के लिए 4 की होल की गई और किडनी निकालने के लिए 2 से 3 सेमी का चीरा लगाना पड़ा. कुल 90 प्रतिशत से कम लगाया चीरा लगाया गया. चीरा छोटा लगने से 95 प्रतिशत तक ब्लड लॉस भी कम हुआ. मरीज की रिकवरी इसलिए तेज हुई. डोनर दूसरे दिन ही ठीक हो गया.