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Qutub Minar Controversy: कुतुब मीनार में पूजा की मांग पर साकेत कोर्ट में सुनवाई आज, इस आधार पर विरोध कर रहा है एएसआई
Delhi News: इससे पहले दिल्ली की एक निचली अदालत कुतुब मीनार परिसर में पूजा की मांग वाली याचिका को खारिज कर चुकी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अदालत ने तथ्यों की जांच किए बिना ही याचिका खारिज कर दी थी.
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Qutub Minar Row: दिल्ली (Delhi) की ऐतिहासिक इमारत कुतुब मीनार (Qutub Minar ) के परिसर में रखी मूर्तियों की पूजा को लेकर साकेत कोर्ट आज सुनवाई करेगा.बता दें कि साकेत कोर्ट (Saket Court) में दायर मुकदमे में दिल्ली की निचली अदालत को कुतुब मीनार परिसर में पूजा की मांग वाली याचिका पर फिर से सुनवाई करने और इस पर पुनर्विचार की मांग की गई है.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) (Archaeological Survey of India) इस याचिका का विरोध कर रही है.कुतुब मीनार को 1993 में यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था.इस समय यह परिसर एएसआई के संरक्षण में है.
क्या है एएसआई की दलील
इस याचिका के विरोध में एएसआई का कहना है कि यह कोई उपासना स्थल नहीं है. उसका कहना है कि स्मारक की मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता.एएसआई ने कहा है कि केंद्र संरक्षित इस स्मारक में उपासना के मौलिक अधिकार का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति की दलील से सहमत होना कानून के विपरीत होगा.एएसआई ने हलफनामा दायर कर कहा था कि इस परिसर में पूजा नहीं की जा सकती है.
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 9 जून को कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदुओं और जैनियों के लिए पूजा के अधिकार की मांग करने वाली अपीलों पर अपने आदेश की घोषणा को 24 अगस्त तक के लिए टाल दिया था.अदालत ने इस मामले में दायर एक नए को देखते हुए यह किया था. इस मामले में हिंदू पक्ष ने मांग की थी कि उन्हें सिर्फ पूजा का अधिकार दिया जाए. वहीं मुस्लिम पक्ष ने परिसर में नमाज पढ़ने की मांग की थी.कोर्ट को इस बात पर फैसला करना है कि इमारत का स्वरूप कैसा है.
याचिकाकर्ताओं की मांग क्या है
इससे पहले दिल्ली की एक निचली अदालत कुतुब मीनार परिसर में पूजा की मांग वाली याचिका को खारिज कर चुकी है. याचिकाकर्ता का कहना था कि निचली अदालत ने तथ्यों की जांच किए बिना ही उनकी याचिका को खारिज कर दी थी. उनकी दलील है कि कानून के अनुसार इस याचिका पर विचार करने के बाद निचली अदालत को कुतुब मीनार परिसर में रखी हुई मूर्तियों की जांच और सर्वे के आदेश देना चाहिए था.इसके बाद ही सही आदेश दिया जा सकता था.
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