Delhi Assembly Election 2025 Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ने और खराब नतीजों के सवाल पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि दिल्ली की जनता ने किसी को हराया नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाया है. हम साथ लड़ते तो और भी बुरा हश्र होता. दिल्ली की जनता ने तय कर लिया था कि अरविंद केजरीवाल को हराना है.
कांग्रेस नेता ने कहा, ''अगर 10 पार्टियां भी आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ लेती तो भी वो हारते. उनका हारना तय था, निश्चित था.'' संदीप दीक्षित ने शराब नीति, शीशमहल, खराब सड़कें और भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया.
'साथ लड़ने से भी खराब सरकार दोबारा नहीं आएगी'
उन्होंने कहा, ''आप ने पिछले 3 साल में जो कुकर्म किए, वो न करते. जिस प्रकार से वो कांग्रेस के नेताओं को गालियां देते थे, ये बंद कर देते. जिस तरह से इन्होंने शराब नीति को लेकर उल्टे सीधे काम किए, शीशमहल में उल्टे सीधे काम किए, दिल्ली की सड़कों को बर्बाद किया. अगर वो ये न करते तो अच्छा होता. उनके कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट पड़ा है. साथ लड़ने या नहीं लड़ने से ये थोड़ी होता है कि खराब सरकार दोबारा चुनकर आ जाएगी.''
AAP के खिलाफ कांग्रेस ने पूरा माहौल बनाया- संदीप दीक्षित
जब उनसे पूछा गया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों को आप कैसे देखते हैं, इस पर उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि हमें ज्यादा वोट मिलना चाहिए था लेकिन हुआ क्या इस बारे में धीरे-धीरे पता चला कि हमलोगों ने जो मुद्दे उठाए उससे तो एंटी आम आदमी पार्टी लहर तो दिल्ली में चल गई. बीजेपी शीशमहल के साथ महज एक दो और चीजों पर फोकस किया लेकिन उससे सरकारें नहीं बदलती हैं."
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने ये भी कहा, ''हमारी पार्टी ने मुद्दे उठाकर आम आदमी पार्टी के खिलाफ पूरा माहौल बनाया. लेकिन बहुत से लोगों ने कहा कि आप तो 2024 में लोकसभा चुनाव साथ में लड़े थे तो हम कैसे जानें कि दोबारा साथ नहीं हो जाएंगे. लोग एक ऐसा विकल्प ढूंढ रहे थे, जहां कहीं भी चुनाव के बाद भी गलती से अरविंद केजरीवाल का चेहरा न दिख जाए. इतनी नफरत दिल्ली के वोटर्स में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हो गई थी. शायद हम भी पूरी तरह से उस बात को नहीं पढ़ पाए. हमें भी उसकी परछाई में आगे-पीछे लोगों ने देखा.
मुस्लिम और दलित वोटर्स पर क्या बोले संदीप दीक्षित?
उन्होंने आगे कहा, ''दूसरा मुस्लिम और दलित वोटर्स था, वो भी इनसे बहुत नाराज था. वो कांग्रेस की तरफ आना चाहते थे लेकिन प्राथमिक तौर से वो दोनों वर्ग चाहते थे कि कुछ भी हो, कितना भी खराब अरविंद केजरीवाल हो, हम बीजेपी को नहीं चाहते. कांग्रेस उनकी फर्स्ट च्वाइस थी लेकिन उसे लगा कि अगर वोट शिफ्ट करेंगे तो शायद बीजेपी न जीत जाए. वो आम आदमी पार्टी के पास चले गए.''
कांग्रेस नेता ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि आम आदमी पार्टी को इतना वोट मिल गया, इतना वोट उन्हें इसलिए मिला क्योंकि लोगों को बीजेपी में उस तरह का विकल्प नहीं दिख रहा था, जैसा वो चाहते थे. नहीं तो आम आदमी पार्टी की 22 सीटें छोड़िए 11-12 सीटें भी नहीं आ पाती.
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