Delhi News: पंजाब में लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सात सीटों को लेकर भी कांग्रेस के सामने अपनी सियासी मंशा साफ कर दी है. सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने इंडिया गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस के सामने दिल्ली की सात में से सिर्फ एक सीट देने का फैसला लिया है. आप का यह रुख सहयोगी पार्टी को अहसज करने वाला है. इस आधार पर आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन टूट भी सकता है. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली ने इसका जवाब भी दे दिया है.
दरअसल, दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में सिर्फ एक सीट कांग्रेस को देने के प्रस्ताव को लेकर आम आदमी पार्टी के महासचिव और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सीट शेयरिंग के बाबत आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि गुजरात में आम आदमी पार्टी के पांच विधायक हैं और कांग्रेस के 17. मेरिट के लिहाज से अगर वहां पर दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में 18 सीटें कांग्रेस के खाते में जाएंगी और आठ सीटें आम आदमी पार्टी के हिस्से में आनी चाहिए.
AAP ने गेंद कांग्रेस के पाले में डाला
इसी तरह दिल्ली के आंकड़ों की बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी की सात लोकसभा सीटों में न तो कांग्रेस के एक भी सांसद हैं और न ही आम आदमी पार्टी के. एमसीडी में कांग्रेस के पास 9 पार्षद हैं. दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस के एक भी विधायक अभी नहीं हैं. 70 में से 62 विधायक आप के हैं. इस लिहाज से कांग्रेस का एक भी लोकसभा सीटों पर दावा नहीं बनता है, लेकिन अब गठबंधन धर्म का मान रखते हुए उनके लिए एक देने का प्रस्ताव रखा है. अब इस पर कांग्रेस पार्टी को फैसला लेना होगा. हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पार्टी के नेता बहुत जल्द बैठकर अंतिम फैसला लेंगे. अगर अगले कुछ दिनों में कांग्रेस स्थिति स्पष्ट नहीं करती है तो हमारी पार्टी छह सीटों पर प्रत्याशी तय कर चुनाव की तैयारी में जुट जाएगी.
हमारी तैयारी सीटों की : लवली
आम आदमी पार्टी के इस फॉर्मूले पर कांग्रेस ने की ओर से भी जवाब आ गया है. दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली का कहना है कि हमने भी सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रखी है. दिल्ली में कांग्रेस बेहतर स्थिति में है. सभी लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने बैठकें और रैलियां की हैं. अंतिम फैसला कांग्रेस हाईकमान करेगा.