'मोदी और योगी की...', यूपी में नजूल विधेयक पर संजय सिंह का बड़ा बयान
Sanjay Singh News: आप नेता संजय सिंह के मुताबिक नजूल संपत्ति मामला बीजेपी की आंतरिक लड़ाई है. वहीं यूपी के अन्य विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि यह विधेयक को पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाला है.
Sanjay Singh Reaction: उत्तर प्रदेश में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 को लेकर सियासी घमासान चरम पर है. इस मसले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि यह बीजेपी की आंतरिक लड़ाई दिखाई दे रही है. यह मोदी और योगी की लड़ाई है.
एबीपी लाइव से बातचीत में आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि नजूल संपत्ति विधेयक को बीजेपी के अंदर से ही विरोध होने लगा है. बीजेपी नेता भूपेंद्र चौधरी ने ही विधानसभा की सलेक्ट कमेटी के पास इसे भेजने की मांग की है. बीजेपी के अंदर से ही इस बिल का विरोध होने लगा है.
उन्होंने कहा, "इसे यूपी के बीजेपी नेताओं की आपीस लड़ाई के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह सीएम योगी आदित्यनाथ बनाम पीएम नरेंद्र मोदी की लड़ाई है. दिल्ली से इशारा होता है, यूपी के नेता विवाद को बढ़ावा देते हैं और फिर आपस में ही झग
दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के विरोध के बीच 31 जुलाई को ‘उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक’ 2024 ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. अब इसको लेकर चर्चा चरम पर है. विपक्ष ने इस विधेयक को जनहित के खिलाफ करार देते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजने का आग्रह किया था. जबकि सत्ता पक्ष के भी कुछ विधायक इसमें सुधार की जरूरत बताई है.
इसलिए पड़ी इस विधेयक को लाने की जरूरत
उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के मुताबिक जनहित में इस विधेयक को लाने की जरूरत इसीलिए पड़ी, क्योंकि समय-समय पर सरकार को जब विकास कार्यों के लिए जमीन की जरूरत होती है तो वो नजूल की जमीन को इस मकसद से इस्तेमाल कर सके.
इस विधेयक का मकसद निजी या इकाई के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व को रोकना है. उन्होंने कहा कि राजस्व परिषद, वन विभाग और सिंचाई विभाग की जमीन इस विधेयक के दायरे में नहीं आएगी. इसके अलावा, केंद्र सरकार की जमीन भी इसके दायरे में नहीं आएगी.
'विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे सरकार'
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आरके वर्मा ने कहा कि विधेयक को सदन की प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया जाए, जो अपना प्रतिवेदन एक माह के अंदर सदन में प्रस्तुत करे. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के आने से बहुत सारी विसंगतियां पैदा होंगी.
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद मुल्क में बड़े पैमाने पर राजा महाराजा और जमीदारों की जमीनें थीं, जिन पर उन्होंने अपने सिपहसालार और श्रमिकों को बसाया था. जब चकबंदी प्रक्रिया लागू हुई तो उनकी जमीन की गाटाबंदी नहीं की गई और उसे सरकारी जमीन मान लिया गया. यह विधेयक कानून बनने के बाद उनको कभी भी वहां से निकाला जा सकता है.
'संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ'
समाजवादी पार्टी के नेता संदीप पटेल ने कहा कि यह विधेयक संविधान की प्रस्तावना के ही खिलाफ है. यह संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 141 और 300 के प्रतिकूल है. यह पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाला विधेयक है.