आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने फ्री बिजली के अधिकार को मूलभूत अधिकारों में शामिल करने के लिए राज्यसभा में शुक्रवार को प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में प्रस्ताव दिया है. इस बिल में सांसद संजय सिंह ने देश के सभी ग्रामीण एवं शहरी परिवारों के साथ ही किसानों, मजदूरों, महिलाओं और व्यापारियों को फ्री बिजली देने का प्रस्ताव रखा है. आप सांसद का कहना है कि देश के संसाधनों से ही बिजली का निर्माण होता है तो देश के लोगों का बिजली पर बराबर हक बनता है.


सांसद संजय सिंह ने यह प्रश्न खड़ा किया है कि देश में नेताओं को हजारों यूनिट बिजली बिल्कुल मु़फ्त दे दी जाती है. तो फिर देश के गरीबों, किसानों, मजदूरों और परिवारों को क्यों यह अधिकार नहीं दिया जा सकता? देश में आसमान छूते बिजली के दामों ने गरीब से लेकर अमीर तक और मजदूर से लेकर व्यापारी तक हर व्यक्ति को परेशान कर रखा है. 


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राज्य सभा सांसद ने कहा, आदमी जितना कमाता है उसका एक बड़ा हिस्सा सिर्फ बिजली के बिल चुकाने में चला जाता है. आज व्यक्ति के जीवन में ऐसा कोई काम नहीं है जो बिना बिजली के चल सके. शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, ट्रांसपोर्ट हर जगह पर बिजली की बहुतायत मांग है. सिंह बोले, महंगाई रोज नये रिकार्ड बना रही है, इसके बाद भी सरकारें बिजली के दामों को बढ़ने से रोकने की बजाय इसका निजीकरण किये जा रही हैं. जिसके कारण बिजली के दामों पर से सरकार का नियंत्रण बिल्कुल खत्म सा होता जा रहा है. निजी कंपनियां मनमाने ढंग से लोगों के ऊपर बिजली बिल का बोझ बढ़ा रही हैं.


सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को कहा कि इन परिस्थितियों में यह आवश्यक हो जाता है कि अब बिजली को लोगों का मूलभूत अधिकार बनाने का कानून संसद से पास कराया जाये. ताकि देश में लाखों परिवारों को बिजली बिल के बोझ तले दबने से बचाया जा सके. लोग अपने इस बचे हुए धन को बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और कई अन्य जरूरी चीजों में लगा सकेंगे. 


बिजली के अधिकार को मूलभूत अधिकार में शामिल करने से यह सुनिश्चित किया सकेगा कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को चाहे उसकी आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियां कैसी भी हों, उसको पर्याप्त और सस्ती बिजली का उपयोग करने से वंचित नहीं किया जा सकेगा. संजय सिंह ने अपने प्राइवेट मेंबर बिल में यह स्पष्ट किया है कि केंद्र और राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी होगी कि देश के प्रत्येक नागरिक तक अनिवार्य और फ्री बिजली की पहुंच सुनिश्चित की जाये.


इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यदि लोगों को राज्यों द्वारा फ्री बिजली मुहैया कराने में जो मुश्किलें आती हैं, उनके समाधान की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होगी और केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों मिलकर फ्री एवं सस्ती बिजली की निश्चित मात्रा का निर्धारण करेंगी.


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