Delhi News: अन्ना आंदोलन से उपजी आदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक हैं संजय सिंह (Sanjay Singh) . साल 2012 में आप (AAP) के गठन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. वह टीम अन्ना के समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. केंद्र सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते आये हैं. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गोमती परियोजना में हुए भ्रष्टाचार और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के जमीन खरीद फरोख्त मामले में अनियमितता को भी वह उठा चुके हैं, लेनिक 4 अक्टूबर 2023 को ईडी (Ed) द्वारा दिल्ली आबकारी नीति (Delhi Excise Policy) मामलें में गिरफ्तारी की वजह से वह सुर्खियों में हैं.
आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह (Sanjay Singh)की संगठन क्षमता को देखते हुए उन्हें 2017 में पंजाब का प्रभारी बनाया. उसी साल आप ने पंजाब में अच्छा प्रदर्शन किया और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी. इसके बाद संजय सिंह को पार्टी ने 8 जनवरी, 2018 को राज्यसभा भेज दिया. साथ ही यूपी में पार्टी के विस्तार की जिम्मेदारी भी उन्हें को सौंप दिया. राज्यसभा पहुंचने के बाद से वो अधिकांश बड़े मसलों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से रखते आये हैं. संजय सिंह पार्टी के लिए कितने खास रहे, यह राज्यसभा सदस्यता को लेकर दिए गए मनीष सिसोदिया के बयान से समझा जा सकता है. मीडिया से बात करते हुए मनीष सिसोदिया ने एक बार कहा था कि पार्टी ने राज्यसभा की सीटों के लिए देश की 18 बड़ी हस्तियों के नाम पर विचार किया था, लेकिन अंतिम मौके पर आप ने संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता के नाम पर मुहर लगाई. आप की ओर से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले वो पहले सांसद हैं. बाद में वो बिहार और यूपी के प्रभारी भी बनाए गए. वर्तमान में वह वह पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारी के सदस्य भी हैं.
ED ने पहली बार कब लिया संजय सिंह का नाम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आप सांसद के इस शानदार सियासी सफर को चुनौती उस समय मिली जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत के सामने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दायर पांचवें आरोप पत्र में उनका नाम ले लिया. दिसंबर 2022 में अपने पांचवें आरोप पत्र में ईडी ने संजय सिंह का नाम पहली बार शामिल किया. ईडी के मुताबिक शराब घोटाले में आरोपी दिनेश अरोड़ा ने बताया कि साल 2020 में उसकी मुलाकात संजय सिंह से रेस्तरां ‘अनप्लग्ड कोर्टयार्ड’ में एक पार्टी के दौरान हुई थी. अरोड़ा का दावा कि आप नेता ने रेस्तरां मालिकों से दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए धन एकत्र करने के लिए कहा था. उसने पार्टी के लिए 82 लाख रुपये का चेक दिया था.
ईडी ने अपने आरोप पत्र में दिनेश अरोड़ा के हवाले बताया कि एक अन्य आरोपी अमित अरोड़ा उस समय अपनी शराब की दुकान ओखला से पीतमपुरा ट्रांसफर कराने में मदद चाहता था. उसने दिनेश अरोड़ा के जरिए संजय सिंह से संपर्क स्थापित किया. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को इस बारे में बताया गया और आबकारी विभाग ने अमित की इस मामले में मदद की. ईडी के आरोपपत्र में कहा गया कि दिनेश अरोड़ा ने यह भी बताया कि उसने एक बार संजय सिंह के साथ सीएम अरविंद केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी और सिसोदिया से पांच-छह बार बात की थी.
AAP का आरोप
अब इस मामले में संजय सिंह के दिल्ली स्थिति आवास पर ईडी ने 4 अक्टूबर को पहले छापेमारी की और घंटों तक पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद से वह ईडी की हिरासत में हैं. ईडी रेड के बाद पार्टी की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए प्रवक्ता रीना गुप्ता ने आरोप लगाया कि संजय सिंह अदाणी के मुद्दे पर सवाल पूछते रहे हैं, इसलिए उनके आवास पर छापे मारे जा रहे हैं. पार्टी कई नेताओं ने ये आरोप लगाए हैं. रीना गुप्ता का दावा है कि केंद्रीय एजेंसियों को पहले भी कुछ नहीं मिला था और अब भी कुछ नहीं मिला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका स्थित फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अदाणी समूह खुलेआम स्टॉक हेरफेर और आडिट में धोखाधड़ी करने में लगा था. इस मसले को भी आप सांसद संजय सिंह लगातार उठा रहे थे. इतना ही नहीं, वो अदाणी समूह पर जोरदार तरीके से अपने निशाने पर भी ले रहे थे. ये बात अलग है कि अदाणी ग्रुप ने सभी आरोपों से इनकार किया है.
दिल्ली शराब नीति मामला क्या है?
दरअसल, कोरोना काल के बीच दिल्ली सरकार ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 लागू की थी. इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आने के बाद उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई. इसके बाद पिछले साल दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया था, लेकिन इस मामले की सीबीआई और ईडी की ओर से जांच जारी है. इस मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पिछले कई माह से जेल में हैं.