Delhi Ordinance Bill: 'दिल्ली का मुख्यमंत्री होने से बेहतर है खेत में फावड़ा चलाना', जानें संजय सिंह ने क्यों दोहराया ये बयान
Delhi Politics: संजय सिंह का दावा है कि दिल्ली के पूर्व सीएम मदन लाल खुराना, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की वकालत की थी.
Delhi News: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर जारी विवाद के बीच आप सांसद संजय सिंह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी पिछले 25 साल के दौरान हर संभव कोशिश के बावजूद दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाई. इससे बीजेपी के नेता बौखलाए हुए हैं. अब दिल्ली अध्यादेश के जरिए संविधान संशोधन कर सरकार के अधिकार छीनने पर उतारू हैं. उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से संविधान की मूल भावना के विपरीत है.
संजय सिंह ने दिल्ली अध्यादेश के मसले पर एक ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में 1993 से 1998 तक BJP की सरकार थी. दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने विधानसभा में बयान दिया था कि, "दिल्ली का मुख्यमंत्री होने से बेहतर है, खेत में फावड़ा चलाना. दिल्ली के पूर्व सीएम मदन लाल खुराना, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पूर्ण राज्य की वकालत की थी. इसके बावजूद केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर दिल्ली सरकार के अधिकारों को छीनने पर उतारू है. उन्होंने कहा कि साल 1998, 2005, 2008 और 2013 विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने घोषणा पत्र में पूर्ण राज्य का अधिकार दिलाने का वादा दिल्ली वालों से किया था, लेकिन 1998 से लेकर 2020 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली की जनता ने इन्हें सरकार बनाने का मौका नहीं दिया. अब केंद्र में बीजेपी सरकार है, इसलिए गैर संवैधानिक विधेयक ला रहे हैं. जबकि संविधान में संशोधन बिल के माध्यम से नहीं किया जा सकता. बीजेपी वाले 25 साल से लगातार दिल्ली विधानसभा का चुनाव हार रहे हैं. यही वजह है कि इन्होंने देश की संसद में अध्यादेश कानून लाकर संविधान में संशोधन कर रहे हैं.
अध्यादेश के जरिए संविधान संशोधन संभव नहीं
उन्होंने कहा कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कहा था कि ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होनी चाहिए. फिर सेवा विभाग राज्य सूची का विषय है. दिल्ली को विधानसभा का दर्जा संविधा के अनुच्छेद 239एए के तहत हासिल है. अनुच्छेद 239एए में तीन विषय को छोड़कर सारे अधिकार दिल्ली सरकार के पास हैं, लेकिन संविधान के जिस अनुच्छेद से दिल्ली में विधानसभा बनी, उससे वो अधिकार अब बीजेपी वाले छीनना चाहते हैं. इसके लिए संविधान में संशोधन अध्यादेश के जरिए नहीं हो सकता. यह संविधान की मूल भावना के विपरीत है. यह संविधान की आत्मा के खिलाफ भी है.
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