(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
दिल्ली में पुस्तक 'ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर' का विमोचन, अब बदलेगी गुप्त कालीन इतिहास की समझ
Delhi News: 'ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर' के जरिए लेखक संजीव कुमार इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाने की कोशिश करते नजर आते हैं. उन्होंने भारत के अतीत की कहानी को नए तरीके से पेश किया है.
Delhi News Today: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में गुरुवार को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम के तहत बहुप्रतीक्षित पुस्तक 'ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर' का आधिकारिक विमोचन किया गया. शोध पुस्तक के लेखक संजीव कुमार हैं. पुस्तक भारत के सबसे प्रभावशाली ऐतिहासिक कालों में से एक गुप्त साम्राज्य को लेकर लोगों को समझ को बदलने का वादा करती है.
यह अद्वितीय पुस्तक अंतरराष्ट्रीय इतिहासकारों और विद्वानों से व्यापक सराहना प्राप्त कर चुकी है. गहन शोध पद्धति और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर यह पुस्तक में गुप्त साम्राज्य (चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी) के बारे में अब तक अनदेखे पहलुओं को उजागर करती है.
इस किताब के जरिए लेखक संजीव कुमार हमारे इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाते हैं और भारत के समृद्ध अतीत की कहानी को नए तरीके से पेश करते हैं. IGNCA में आयोजित इस विमोचन कार्यक्रम में विद्वानों, इतिहासकारों और सांस्कृतिक प्रेमियों का एक प्रतिष्ठित समूह मौजूद रहा. कार्यक्रम की मुख्य विशेषताओं में गुप्त साम्राज्य के दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी भी शामिल रही, जिसने उस काल के गौरवशाली अतीत के साथ एक सजीव संबंध स्थापित किया.
संजीव कुमार की 'ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर' पुस्तक केवल एक ऐतिहासिक विवरण नहीं है, बल्कि यह गुप्तकालीन इतिहास की हमारी समझ को पुनः परिभाषित करने वाली एक महत्वपूर्ण पुस्तक है. आधुनिक वैज्ञानिक विधियों का उपयोग कर, यह पुस्तक सम्राट समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त, कुमारगुप्त और स्कंदगुप्त जैसे शक्तिशाली शासकों के अज्ञात पहलुओं को उजागर करती है. यह पहले से चली आ रही ऐतिहासिक धारणाओं को चुनौती देती है.
लेखक की जीवनी और उपलब्धियां
पुस्तक 'ट्रेजर्स ऑफ द गुप्ता एम्पायर' के लेखक शिवली ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. वह रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन के फेलो और स्वतंत्र शोधकर्ता और मुद्राशास्त्री भी हैं.
संजीव कुमार एक प्रतिष्ठित स्वतंत्र शोधकर्ता और मुद्राशास्त्री हैं, जिन्होंने अपना जीवन गुप्त साम्राज्य के इतिहास और सिक्कों के अध्ययन के लिए समर्पित कर दिया है. भारतीय मुद्राशास्त्र के क्षेत्र में उनके व्यापक शोध और विशेषज्ञता ने उन्हें गुप्त राजवंश के इतिहास और उसके सिक्कों के अग्रणी अधिकारियों में से एक के रूप में मान्यता दिलाई है. वे नॉर्थवेस्ट इंडियाना के हिंदू मंदिर के ट्रस्टी भी हैं.
गुप्त साम्राज्य के खजाने
संजीव कुमार को उनके व्यापक कार्य "गुप्त साम्राज्य के खजाने" के लिए जाना जाता है, जिसे गुप्त सिक्कों के अध्ययन में सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक माना जाता है. यह पुस्तक गुप्त साम्राज्य के समृद्ध इतिहास, प्रतीकात्मकता, व्यापार मार्गों, भंडारों, खोज स्थलों, माप-पद्धति और धातु विश्लेषण के साथ-साथ 6,400 से अधिक सिक्कों की एक पर्याप्त सूची की गहन खोज प्रस्तुत करती है. उनके काम को जॉन एलन, ए.एस. अल्टेकर और पी.एल. गुप्ता जैसे मुद्राशास्त्र के दिग्गजों द्वारा तय किए गए मार्ग की निरंतरता माना जाता है.
मुद्राशास्त्रीय विशेषज्ञता
पिछले कुछ वर्षों के दौरान संजीव कुमार ने गुप्त सिक्कों को सावधानीपूर्वक सूचीबद्ध किया है, जो इस ऐतिहासिक काल को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देता है. उनका काम न केवल ज्ञात गुप्त सिक्का मुद्दों का दस्तावेजीकरण करता है, बल्कि उनकी दुर्लभता के बारे में अद्यतन वर्गीकरण और अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है.
नेतृत्व की भूमिका
शिवली ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में संजीव कुमार भारत की मुद्राशास्त्रीय विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. उनके प्रयासों ने गुप्त राजवंश के सिक्कों को दुनिया भर के विद्वानों और संग्रहकर्ताओं दोनों के लिए सुलभ बनाने में मदद की है.
प्रभाव और विरासत
संजीव कुमार के काम का भारतीय मुद्राशास्त्र के क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है. खासकर गुप्त साम्राज्य के संबंध में. उनकी पुस्तक, "गुप्त साम्राज्य के खजाने" को इतिहासकारों, मुद्राशास्त्रियों और भारत के स्वर्ण युग में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक आवश्यक संदर्भ माना जाता है. इतिहास का दस्तावेजीकरण और विश्लेषण ने गुप्त सिक्कों के जटिल विवरणों पर प्रकाश डाला है, जिससे भारतीय इतिहास में इस महत्वपूर्ण अवधि की समझ और बढ़ी है.
प्रकाशन:
इस पुस्तक "गुप्त साम्राज्य के खजाने" आर्कियोप्रेस यूके द्वारा प्रकाशित है. गुप्त राजवंश के सिक्कों की एक व्यापक मार्गदर्शिका और सूची, जो उस युग के व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ की खोज करती है.
वक्ताओं के पैनल में शामिल प्रमुख हस्तियां
डॉ. सच्चिदानंद जोशी, IGNCA के अध्यक्ष और सदस्य सचिव
डॉ. बी.आर. मणि, मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय संग्रहालय महानिदेशक
प्रो. के.के. थपलियाल, एमेरिटस प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय
डॉ. संजय कुमार मंजुल, अतिरिक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली
डॉ. प्रशांत कुलकर्णी, अध्यक्ष भारतीय सिक्का समाज, ओरिएंटल न्यूमिस्मैटिक सोसाइटी यूके के फेलो
प्रो. रमेश सी. गौर, निदेशक कला निधि और डीन (प्रशासन) IGNCA
डॉ. दिलीप राजगोर, पूर्व निदेशक डी.एम. इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूमिस्मैटिक्स एंड आर्कियोलॉजी मुंबई विश्वविद्यालय