Saurabh Bharadwaj on Vinai Saxena: दिल्ली सरकार और एलजी के बीच तकरार कोई नई बात नहीं है. एक बार फिर दिल्ली के एलजी और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज कचरा प्रबंधन के मसले पर आमने-सामने आ गए हैं. नया मसला एमसीडी के ठोस कचरा प्रबंधन के पांच प्रोजेक्ट्स के लिए एमसीडी कमिश्नर के वित्तीय अधिकारों को 5 करोड़ रुपये से अधिक बढ़ाने वाली फाइल को मंजूरी देने से जुड़ा है.


इस मसले पर एलजी ऑफिस की तरफ से कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से इसे अटकाकर कचरा प्रबंधन में देरी की जा रही है.


'LG ने संवैधानिक पद की गरिमा गिराई'


दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे को लेकर एलजी पर जमकर हमला बोला है. भारद्वाज ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. एलजी ने अपने संवैधानिक पद की गरिमा इतनी गिरा दी है. उन्हें चुनी हुई सरकार के मंत्रियों को बदनाम करने के लिए झूठी कहानियां गढ़ने की आदत हो गई है. 


एलजी ऑफिस अच्छी तरह से जानता है कि उनके झूठ को चुनी हुई सरकार एक घंटे के भीतर उजागर कर देगी. इसलिए, उन्होंने देर रात झूठी और दुर्भावनापूर्ण खबरें फैलाना शुरू कर दिया है. ताकि मंत्री जिनके कंधों पर अपने निर्वाचन क्षेत्रों की बड़ी जिम्मेदारियां हैं, वह एलजी कार्यालय के दुष्प्रचार का तत्काल जवाब न दे सकें.


MCD कमिश्नर को असीमित शक्ति देने पर आपत्ति


सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी ऑफिस इतना हताश हो गया है कि वह एलजी के चहेते एमसीडी कमिश्नर को बगैर किसी नियंत्रण के असीमित शक्तियां दे देना चाहता था. निर्वाचित सरकार एमसीडी सदन की मंजूरी के अधीन नगर निगम की वित्तीय शक्तियों को 5 करोड़ रुपए से अधिक बढ़ाने को तैयार थी. यह समझ से परे है कि एलजी एमसीडी कमिश्नर पर किसी भी तरह का नियंत्रण और संतुलन क्यों नहीं चाहते?


शहरी विकास मंत्रालय ने दी थी अपनी मंजूरी


उन्होंने कहा कि 6 सितंबर 2024 को नगर निगम के ठोस कचरा प्रबंधन के पांच प्रोजेक्ट्स के लिए एमसीडी कमिश्नर के वित्तीय अधिकारों को 5 करोड़ रुपये से अधिक बढ़ाने वाली फाइल मिली थी. मंत्रालय ने उसी दिन अपनी मंजूरी दे दी थी. उस पर तारीख की मोहर भी लगी हुई है. मोहर में साफ तौर पर दिखाया गया है कि फाइल 6 सितंबर 2024 को प्राप्त हुई और उसी दिन मंत्री ने इसे मंजूर कर दिया था. 


अब एलजी को बताना चाहिए कि सीधे तौर पर उनके अधीन काम करने वाले अधिकारी, शहरी विकास मंत्री की मंजूरी मिलने के बाद भी इस मामले को एक महीने से अधिक समय तक क्यों टालते रहे.


मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह भी रिकॉर्ड में है कि इन फाइलों को केवल सुप्रीम कोर्ट की वजह से ही मंजूरी दी गई है. वरना ये अधिकारी इन फाइलों को भी लटकाए रखते. एलजी को सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए कि वह उन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने 6 सितंबर 2024 को उनकी मंजूरी देने के बावजूद फाइल की प्रोसेसिंग में देरी की. 


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