'दिल्ली के हर संकट के पीछे BJP के एलजी', सौरभ भारद्वाज का विनय सक्सेना पर बड़ा आरोप
Saurabh Bharadwaj: सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आशा किरण में डॉक्टरों की कमी से 14 मौतें हुई थी. इस विभाग की जिम्मेदारी एलजी की है. एलजी वहां NCCSA बैठक न होने की बात कर डॉक्टरों को नियुक्त करते नहीं.
Saurabh Bharadwaj On Asha Kiran: दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं सहित अलग-अलग विभागों में बिगड़ी व्यवस्था को लेकर एलजी विनय सक्सेना पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में जब-जब कोई बड़ा संकट आता है, और हम कागजों के आधार पर कहते हैं कि इसके पीछे दोषी बीजेपी द्वारा नियुक्त LG हैं तो उस पर राजनिवास से उल जुलूल बयान आता है.
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के हर संकट के पीछे BJP के LG होते हैं. अगर आप यह समझना चाहते हैं, कैसे तो इसे दो उदाहरणों से समझा जा सकता है.
दिल्ली के हर संकट के पीछे होते हैं BJP के LG‼️
— AAP (@AamAadmiParty) August 27, 2024
दिल्ली के सभी संकटों के पीछे BJP द्वारा दिल्ली को बर्बाद करने के लिए लगाए गए LG होते हैं, कैसे? इन दो उदाहरणों से समझिए👇
♦️ आशा किरण शेल्टर होम के अंदर 14 लोगों की दुखद मौत हुई थी। यहां डॉक्टरों और स्टाफ़ की भारी कमी थी, जिस वजह… pic.twitter.com/F3qNAbVFWo
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हाल ही में दिल्ली शेल्टर होम (आशा किरण) में 14 लोगों की मौतें हुई थी. बीजेपी और अन्य नेताओं ने इसको लोकर तरह-तरह के आरोप आप सरकार पर लगाए. इसकी जांच कराई गई. जांच रिपोर्ट में सामने आया कि दिल्ली सरकार समाज कल्याण विभाग के मातहत संचालित आशा किरण में डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ की बड़े पैमाने पर कमी है.
'डॉक्टर नियुक्त करने की जिम्मेदारी LG की'
आशा किरण में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ को नियुक्त व ट्रांसफर की जिम्मेदारी एलजी की है. यह मामला सर्विस विभाग से जुड़ा है. यह विभाग एलजी के अधीन है. जब ये सवाल उठाए गए तो उनके कार्यालय से बताया कि एनसीसीएसए की बैठक न होने की वजह से सीटें खाली पड़ी हैं. इससे साफ है कि LG के अंतर्गत आने वाले सेवा विभाग ने अपना काम नहीं किया. बावजूद इसके LG कार्यालय की तरफ से झूठ परोसा गया.
उन्होंने कहा कि इसी तरह दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. नए अस्पताल बनवाए जा रहे हैं. अस्पतालों में भी डॉक्टरों और कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की जा रही है. किसी भी अस्पताल को चलाने के लिए एमएस की भूमिका अहम माना जाता है. एक-एक एमएस के पास दो-दो या तीन-तीन अस्पतालों की जिम्मेदारी है.
'हर बात का एक ही जवाब "
आखिर अकेला एमएस क्या करे, उस पर काम का दबाव है. ऐसे में दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराएगी तो और क्या होगा? इसके पीछे BJP के LG साहब बेहद ही बेतुका कारण बतातें हैं. वो कहते हैं कि NCCSA की बैठक नहीं हो पा रही है.
दिल्ली के अस्पतालों का हाल ये है कि आधे दर्जन अस्पतालों में 30 प्रतिशत पदों पर डॉक्टर नहीं और विशेषज्ञ नही है. इसी तरह पैरामेडिकल और नर्स स्टाफ की भी बड़ी संख्या में कमी है.
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