Delhi Politics News: राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा दिल्ली में बोर्ड और पैनल बनाने और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार एलजी को दिए जाने पर आप नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जब उनकी दिल्ली के जनता के प्रति कोई जवाबदेही ही नहीं है तो फिर और ज्यादा अधिकार क्यों?
उन्होंने कहा कि जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है, "तो वे चाहते हैं कि पूरी दिल्ली एलजी द्वारा चलाई जाए. चूंकि, बीजेपी चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है, इसलिए वह पिछले दरवाजे से दिल्ली पर नियंत्रण करना चाहती है, लेकिन ऐसा नहीं होगा."
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी को और ज्यादा पावर देने पर कहा, "जब जिम्मेदारी और जवाबदेही की बात आती है, तो एलजी साहब काम नहीं कर रहे हैं. आप नेता का कहना है कि दिल्ली में हजारों डॉक्टरों की भर्ती करनी है. अस्पतालों में पद सृजित करने हैं. हजारों बस मार्शल बेरोजगार हो गए हैं. एलजी साहब को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि, उन्होंने यह सब काम बंद कर दिया है.
'LG इसलिए ले रहे ज्यादा अधिकार'
इसके उलट, जब अधिकार हासिल करने की बात आती है, तो वे और अधिक अधिकार ले रहे हैं. वे क्यों ले रहे हैं? ताकि वे अधिकारों का दुरुपयोग कर सकें।
ऐसा करने के लिए वे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के माध्यम से प्रसिद्ध होने के लिए सालाना 1.5 करोड़ रुपये में एक सोशल मीडिया कंपनी को काम पर रख रहे हैं. चुनी हुई सरकार के अधिकार छीने जा रहे हैं. नियुक्त लोगों को अधिकार दिए जा रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि मंगलवार रात को केंद्र ने दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) और दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) जैसे किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड एवं आयोग का गठन करने का पूरा अधिकार दे दिया. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि दिल्ली के उपराज्यपाल ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकायों में सदस्यों की नियुक्ति भी कर सकते हैं.
इस संबंध में गजट अधिसूचना प्रकाशित होने के तुरंत बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम वार्ड समिति चुनावों के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति कर दी. इससे पहले महापौर शैली ओबेरॉय ने यह कहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें ‘‘अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया’’ में भाग लेने की अनुमति नहीं देती.
जबकि गृह मंत्रालय ने यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के साथ पठित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी के तहत जारी की है.