(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
दिल्ली के LG ने अस्पतालों में स्टाफ की कमी पर उठाए सवाल, सौरभ भारद्वाज ने विनय सक्सेना को दी बहस की चुनौती
Delhi Hospital: दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज के मुताबिक अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य सहायक स्टाफ की नियुक्ति करने का अधिकार उपराज्यपाल के अधीन आने वाले सर्विसेज विभाग की जिम्मेदारी है.
Delhi Government Hospital: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीते कल दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने स्वीकार किया है कि राष्ट्रीय राजधान के 13 अस्पतालों में नए ब्लॉक बनाने का काम हो रहा है. चार नई जगह पर नए अस्पताल बनाने का काम भी जारी है. सात वर्तमान में संचालित अस्पतालों में कुछ बदलाव कर उन्हें आईसीयू अस्पताल में तब्दील करने का कार्य चल रहा ह.
उन्होंने दिल्ली के एलजी का आभार जताते हुए कहा कि कम से कम उन्होंने यह तो स्वीकार किया कि दिल्ली सरकार इतना काम कर रही है. इसके आगे सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के एलजी को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए हैं कि इन सभी अस्पतालों का क्या फायदा, जब स्टाफ ही मौजूद नहीं हैं. सही मायने में यह प्रश्न तो हमें उपराज्यपाल से करना चाहिए.
'अस्पतालों में कर्मचारियों की भर्ती LG का काम'
मंत्री सौरभ भारद्वाज के मुताबिक अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य सहायक स्टाफ की नियुक्ति करने का अधिकार उपराज्यपाल के अधीन आने वाले सर्विसेज विभाग की जिम्मेदारी है. यदि अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की कमी है, तो इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर उपराज्यपाल की है.
उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ की कमी के संबंध में लगातार उपराज्यपाल को लिखे गए पत्रों का नतीजा है कि आज उन्हें मजबूरन यह बैठक करनी पड़ी. विनय कुमार सक्सेना दो साल से एलजी के पद पर हैं. इस दौरान उन्होंने सर्विसेज विभाग की एक भी बैठक अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ की कमी के संबंध में क्यों नहीं की? यह बैठक तो उन्हें बहुत पहले ही कर लेनी चाहिए थी.
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के एलजी सरासर झूठ बोल रहे हैं. हर वर्ष अस्पतालों में नव निर्माण तथा अन्य कार्यों के लिए बजट एलोकेशन होता है. यह बजट पहले कैबिनेट से पास होता है, उसके बाद उपराज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए जाता है. उसके बाद केंद्र सरकार के पास अप्रूवल के लिए जाता है. फिर दोबारा लौटकर विधानसभा में आता है. उस पर विधानसभा में वोटिंग होती है. उन्होंने कहा कि जब प्रतिवर्ष अस्पतालों के निर्माण के लिए जो बजट एलोकेट होता है, वह उपराज्यपाल के पास भी स्वीकृति के लिए जाता है, तो वह कैसे कह सकते हैं कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं थी.
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि किसी भी विभाग के सचिव का कार्य होता है कि वह उस विभाग से संबंधित रिक्त पदों पर नियुक्ति, तथा विभाग से संबंधित नए पदों का निर्माण सर्विसेज विभाग के साथ और उपराज्यपाल के साथ मिलकर करें और उस पर विज्ञापन निकालकर भर्तियां की जाएं, इस प्रकार से दिल्ली सरकार के नये बन रहे हैं अस्पतालों में नए पदों का निर्माण करना तथा उस पर नियुक्ति करवाने का कार्य स्वास्थ्य सचिव का था, जो उन्होंने नहीं किया.
अस्पतालों में कर्मचारियों की भर्ती के विषय में लगभग आधा दर्जन बार चिट्ठियां एलजी को लिख चुका हूं. यह सारा मामला आशा किरण होम सेंटर में हुई 13 लोगों की मृत्यु के बाद से शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद मैंने उपराज्यपाल को लिखा कि यहां पर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है, जिसकी वजह से यह मौतें हुई हैं. यह आपका कार्य था, क्योंकि सर्विसेज विभाग आपके अधीन आता है. इसके जवाब में एलजी ने कहा था कि एनसीसीएसए के कारण हम डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को आशा किरण होम शेल्टर में ट्रांसफर नहीं कर पा रहे हैं. परंतु जैसे ही हाई कोर्ट की फटकार लगी, जरूरत के मुताबिक वहां पर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को ट्रांसफर कर भेज दिया गया.
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा की मार्च 2020 में देश में कोरोना महामारी फैली और जून 2020 में लगभग सभी अखबारों में यह खबर छपी थी कि जुलाई के अंत तक देश में लगभग 5.50 लाख कोरोना के मरीज होंगे. उन्होंने कहा कि उस समय पर सभी को केवल एक ही बात मालूम थी कि ऐसी महामारी में यदि सबसे अधिक किसी चीज की जरूरत है, तो वह अस्पतालों की और इलाज की है. उन्होंने कहा की अखबारों में यह अनुमान भी लिखा गया था कि दिल्ली में लगभग 80000 बेड की जरूरत होगी.
उन्होंने कहा कि है बड़े ही अफसोस की बात है कि इस प्रकार की महामारी जब लोग अपनी जान बचाने के लिए सब कुछ कर रहे थे, तब दूरदर्शी सरकार द्वारा लिए गए फैसले पर सवाल उठाते हुए उपराज्यपाल कह रहे हैं कि सरकार ने यह नहीं सोचा कि इसके लिए बजट कहां से आएगा?
'स्वास्थ्य सचिव ने भी नहीं दिया कोई जवाब'
तीन जुलाई 2023 को हुई मीटिंग के बाद मैंने एक-एक अस्पताल में खाली पड़े रिक्त स्थानों के संबंध में ब्यौरा तैयार कर उपराज्यपाल को बताया था. इसके बावजूद ना तो सर्विसेज विभाग द्वारा, ना ही उपराज्यपाल द्वारा इस पर कोई भी कार्यवाही की गई. इस बाबत उपराज्यपाल को नहीं बल्कि 25 जून 2024 को मैंने स्वास्थ्य सचिव को भी एक पत्र लिखा. उन्हें कहा की लगभग अस्पतालों के निर्माण का कार्य पूरा होने वाला है और इन अस्पतालों में डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती के लिए पोस्ट क्रिएट करने का कार्य सर्विसेज विभाग की जिम्मेदारी है. दो महीने के बाद भी स्वास्थ्य सचिव की ओर से मुझे कोई जवाब नहीं मिला है.
'सरीन कमेटी रिपोर्ट की भी नहीं की परवाह'
उन्होंने कहा कि न केवल मैंने बल्कि कोर्ट द्वारा गठित डॉक्टर सरीन की कमेटी ने भी यही बात कही है कि नई भर्ती में बहुत अधिक समय लगेगा. तब तक के लिए कॉन्ट्रैक्ट बेस पर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भारती कर ली जाए. ताकि अस्पतालों में आने वाले मरीजों को पर्याप्त इलाज मिल सके. परंतु मेरे कई बार पत्र लिखने तथा डॉक्टर सरीन की कमेटी के कहने के बावजूद भी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती नहीं की गई.
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