Delhi Excise Policy Case: दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत को रोक को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रतिक्रिया दी है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारद्वाज ने कहा कि हाई कोर्ट की एक बेंच ने लोअर कोर्ट का ऑर्डर आए बिना, ऑर्डर देखे बिना स्टे कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी कल कहा कि हाई कोर्ट ने गलती की थी.


सौरभ भारद्वाज ने कहा,  ''मेरा मानना है कि हाई कोर्ट की वो बेंच पूर्वाग्रह से ग्रसित थी इसलिए व्यक्तिगत तौर पर मुझे कोई उम्मीद नहीं थी. हम इस मामले में ऊपरी अदालत में जाएंगे, हमारी लीगल टीम तय करेगी. 


बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है. मंगलवार को इस पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस सुधीर जैन ने कहा कि दस्तावेजों और तर्कों को ट्रायल कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया. गौरतलब है कि 20 जून को दिल्ली की एक अदालत ने सीएम केजरीवाल को जमानत दे दी थी. इसके बाद ईडी तुरंत अगले ही दिन हाई कोर्ट पहुंच गई, जिसने अंतिम आदेश आने तक आदेश पर रोक लगा दी.


वहीं, दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पेड़ काटने के मसले पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ''कल सुप्रीम कोर्ट के एक डबल बेंच ने कंटेम्प्ट पिटीशन में 1100 पेड़ काटने के मुद्दे को सुना. एक झूठ से बचने की कोशिश में केंद्र के वकीलों ने कोर्ट में दोबारा झूठ बोला. कोर्ट में कहा गया कि लॉ ऑफ़िसर्स को पता ही नहीं था कि इसके लिए परमिशन लेनी है, दूसरा झूठ LG को लेकर बोला गया.


उन्होंने आगे कहा, ''DDA की ईमेल कहती है एलजी की डायरेक्शन थी कि पेड़ों को गिराओ और अधिकारियों को भी मालूम था कि पेड़ काटने के लिए अनुमति की ज़रूरत है. 


RWA के लोग अगर पेड़ों की सफ़ाई कर दें, तो FIR हो जाता है. ऐसे मामलों में पांच लाख तक के जुर्माने लगाए गए. इस मामले में भी फारेस्ट रेंजर ने कहा था कि पेड़ नहीं काटे जा सकते, लेकिन मौखिक आदेश से पेड़ काट दिए गए. 


मंत्री भारद्वाज ने ये भी कहा, ''दिल्ली का रीज़ एरिया एकमात्र फारेस्ट एरिया है. यह असोला भाटी वाइल्ड लाइफ़ के अंर्तगत आता है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एक पेड़ भी नहीं काटे जा सकते. इस मामले में LG, DDA, फारेस्ट डिपार्टमेंट सब मिले हुए हैं''.


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