Delhi Water Crisis: दिल्ली में क्यों हुई पानी की किल्लत? जल बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने किया ये दावा
Delhi News: आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यमुना में अब केवल उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट और खराब जल है. इसमें रसायनों की सांद्रता इतनी अधिक है कि हम इसे साफ भी नहीं कर सकते हैं.
दिल्ली जलबोर्ड के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस बार की गर्मी में दिल्ली में जल संकट गहरा सकता है और इसकी वजह यमुना में अवैध खनन (Sand Mining) है. उनके मुताबिक, हरियाणा में बेलगाम अवैध रेत खनन हो रहा है जिसकी वजह से दिल्ली के वजीराबाद में यमुना का जल स्तर वांछित रूप से लगभग तीन फीट नीचे गिर गया है, जिसकी वजह से दिल्ली पानी के संकट से जूझ रही है.
1901 के बाद इस बार सबसे गर्म रही फरवरी
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने जब (1901) से तापमान का रिकॉर्ड रखना शुरू किया है तब से इस बार भारत में फरवरी सबसे अधिक गर्म रही है. फरवरी का अधिकतम तापमान 29.54 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया गया. मौसम विभाग ने कहा कि मार्च और मई में लू चलने की संभावना बढ़ जाती है जिसकी वजह से तापमान में और वृद्धि हो सकती है.
अवैध रेत खनन के कारण दिल्ली की हालत खराब- सौरभ भारद्वाज
दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली में पानी की समस्या पर बात करते हुए संवाददाताओं से कहा कि अभी फरवरी-मार्च में ही स्थिति पिछले साल मई जैसी हो गई है. इसका मतलब ये है कि आने वाले महीनों में समस्या और भी गंभीर होने वाली हैं, उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने वैसे भी इस साल अभूतपूर्व गर्मी की भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा कि लेकिन मौजूदा स्थिति गर्मी के कारण नहीं बल्कि हरियाणा में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध रेत खनन के कारण है. उन्होंने कहा कि रेत माफियाओं ने यमुनानगर के नीचे की ओर बांधों की एक श्रृंखला बनाई है और यह दिल्ली में पानी के प्रवाह को रोक रहा है. सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि गूगल अर्थ इमेज में हरियाणा में 30 स्थानों पर नदी के तल में चल रहे ड्रेजिंग के कार्य को दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि यमुना का जलस्तर आम जलस्तर 674.5 की तुलना में वर्तमान में 671.7 फुट है.
'हम यमुना को अब साफ नहीं कर सकते'
दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि जल संकट न केवल जनता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि संसद, राष्ट्रपति भवन, एलजी हाउस, सीएम कार्यालय और केंद्र और राज्य सरकार के विभागों को भी प्रभावित कर रहा है. उन्होंने कहा कि यमुना में अब केवल उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट और खराब जल है. इसमें रसायनों की सांद्रता इतनी अधिक है कि हम इसे साफ भी नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यमुना के गिरते जलस्तर ने वजीराबाद और चंद्रावल उपचार संयंत्रों के संचालन को भी प्रभावित किया है जो मध्य और दक्षिण दिल्ली में पेयजल की मांगों को पूरा करते हैं.
जल संकट को लेकर जल मंत्री ने अधिकारियों संग की बैठक
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमें अब अन्य क्षेत्रों से पानी निकालना होगा जिसका मतलब है कि समस्य पूरे शहर को प्रभावित करेगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली को लगभग 1290 मिलियन गैलन प्रतिदिन की आवश्यता होती है जबकि दिल्ली जल बोर्ड 990 मिलियन गैलन प्रतिदिन जलापूर्ती करता है. वहीं दिल्ली को अपने कच्चे पानी का 40 प्रतिशत यमुना से मिलता है. उन्होंने बताया दि डीजेबी वर्तमान में 9 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, 16 कूएं और 4681 नलकूपों का संचालन करता है. वहीं पानी की कमी वाले क्षेत्रों में डीजेबी 1200 टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराता है. वहीं जल मंत्री कैलाश गहलोत ने भी डीजेबी के अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की और गर्मी के मौसम में निर्बाध जलापूर्ति की तैयारियों पर चर्चा की.