Delhi News: सावन का महीना महादेव के भक्तों के लिए काफी पवित्र महीना होता है, और ऐसा माना जाता है कि इस महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना से उनकी प्रसन्नता जल्दी प्राप्त होती है. यूं तो इस पावन महीने का हर दिन महादेव की पूजा और जलाभिषेक के खास होता है, लेकिन सावन में पड़ने वाले सोमवार और शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आज शनिवार, 15 जुलाई को सावन के शिवरात्रि के मौके पर कांवड़ियों के अलावा काफी संख्या में लोग शिवालयों में नीलकंठ महादेव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं.


जनकपुरी के प्राचीन शिव मंदिर दूर-दूर से पहुंचे कांवड़िए
कुछ ऐसा ही देखने को मिला पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी B1 स्थित प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर में, जहां आम दिनों की तुलना में आज सुबह से ही कांवड़ियों और अन्य श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. इस मंदिर में दिल्ली ही नहीं बल्कि दिल्ली के बाहर से भी कांवड़िए महादेव को जलाभिषेक करने पहुंचे थे. इनमें हरिद्वार, गाजियाबाद, लोनी समेत दिल्ली के आसपास के कई इलाकों के कांवड़िए शामिल थे, जो अपने पूरे परिवार के साथ भोलेनाथ का दर्शन और उनकी पूजा कर उनकी प्रसन्नता की प्राप्ति की कामना के साथ यहां आए थे. इस दौरान मंदिर में स्थापित महादेव की 65 फुट ऊंची, चार भुजाओं वाली प्रतिमा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही और लोग महादेव की उस भव्य प्रतिमा को देख कर मंत्र-मुग्ध नजर आए.


व्रत और पूजा से महादेव जल्दी होते है प्रसन्न 
मंदिर के पुजारी राहुल तिवारी ने बताया कि, हिंदू पंचांग में हर साल 12 शिवरात्रि होती हैं, लेकिन इनमें से दो शिवरात्रि का खास महत्व दिया जाता है. इनमें सबसे प्रमुख फाल्गुन मास की शिवरात्रि मानी जाती है, जिसे महाशिवरात्रि भी कहा जाता है. वहीं इसके अतिरिक्त दूसरी महत्वपूर्ण शिवरात्रि सावन की मानी जाती है. इस दिन विधि-विधान से शिव जी की पूजा की जाती है. सनातन धर्म में श्रावण मास की महिमा का वर्णन किया गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और उन्हें उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. 


कैसे करें पूजा और क्या है आज की महत्ता
आज शिवरात्रि पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है. इस दिन जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं जाते हैं, साथ ही धूप, दीप, फल और फूल आदि अपर्ण कर पूजा की जाती है. शिव पूजा करते समय शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक के पाठ का विधान है. ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोमनाएं पूरी होती हैं. इस दिन व्रत करने से मुश्किल कार्य आसान हो जाते हैं और व्रती की सारी समस्याएं दूर होती हैं. साथ ही जो कन्याएं मनोवांछित वर पाना चाहती हैं, इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है. विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर हो जाती है.


यह भी पढ़ें: Delhi Cabinet Meeting: अरविंद केजरीवाल ने बुलाई कैबिनेट की बैठक, शाम 4:30 बजे सभी मंत्री होंगे शामिल