Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को शातिर जालसाज सुकेश चंद्रशेखर के वकील से कहा कि कोई भी उसके मुवक्किल को जेल के अंदर नहीं छुएगा. अदालत ने दिल्ली के बाहर एक जेल में स्थानांतरण की मांग वाली सुकेश की याचिका को 13 जुलाई तक के लिए स्थगित करते हुए टिप्पणी की है. सुकेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ के सामने दलील दी कि तिहाड़ जेल के महानिदेशक उनके मुवक्किल से जबरन वसूली की कोशिश कर रहे हैं.


बसंत ने अपने मुवक्किल के बारे में चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें अपनी जान को खतरा होने की आशंका है, इसलिए उन्हें दिल्ली के बाहर एक जेल में स्थानांतरित कर दिया जाए. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने तर्क दिया कि सुकेश ने जेल के अंदर बैठकर 300 करोड़ रुपये की उगाही की थी और जब संबंधित अधिकारी कार्रवाई कर रहे हैं.


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दोबारा अदालत खुलने पर सुनवाई


पीठ ने यह देखते हुए मामले को स्थगित कर दिया है. पीठ का कहना है कि याचिकाकर्ताओं ने दायर हलफनामे में दिल्ली के बाहर जेल में स्थानांतरण के प्रवर्तन निदेशालय के विरोध को रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है. पीठ ने सुकेश के वकील से कहा कि उसे दिल्ली से बाहर जेल में स्थानांतरित करने की उनकी याचिका पर सुनवाई करने की कोई जल्दबाजी नहीं है. इस मामले को अदालत के दोबारा खुलने पर उठाया जा सकता है. बसंत ने नजदीकी तारीख के लिए कहा लेकिन पीठ ने उनकी दलीलों पर विचार नहीं किया है.


वकील ने कहा मुवक्किल के जान का खतरा


बसंत ने जेल में अपने मुवक्किल के जीवन के लिए खतरे के बारे में आशंका जताई है. न्यायमूर्ति कांत ने न्यायमूर्ति बोपन्ना की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ के आदेश का हवाला दिया, जिसे इस महीने की शुरूआत में पारित किया गया था. जिसमें सुकेश को तिहाड़ जेल से बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था. जस्टिस कांत ने कहा, "जस्टिस बोपन्ना के आदेश के बाद कोई आपको नहीं छुएगा."


ईडी ने किया विरोध


वहीं ईडी ने सुकेश को तिहाड़ जेल से स्थानांतरित करने का विरोध किया था. साथ ही अदालत से जेल परिसर में प्रताड़ना और हमले के झूठे आरोप लगाने के लिए झूठी गवाही के तहत मुकदमा चलाने का आग्रह किया था.


धोखाधड़ी और रंगदारी मामले में जेल


सुकेश और उनकी पत्नी इस समय धोखाधड़ी और रंगदारी से जुड़े मामलों में तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्होंने अपनी जान को खतरा होने का हवाला देते हुए किसी अन्य जेल में स्थानांतरण की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है. जेल अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया है कि जेल के भीतर उनके साथ मारपीट की गई थी और कहा कि मेडिकल जांच में उन्हें किसी बाहरी चोट की सूचना नहीं मिली है.


शीर्ष अदालत ने 17 जून को पारित अपने आदेश में कहा था, "तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए प्रतिद्वंद्वी तर्कों में प्रवेश किए बिना, सभी संबंधितों की आशंका को दूर करने के लिए याचिकाकर्ताओं को किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करना उचित होगा."



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